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________________ ज्ञान और कर्म । [ द्वितीय भाग पिता-माता अगर किसी स्पष्ट अवैध कार्यको करने के लिए कहें, तो पुत्रकन्या उसे करनेके लिए वाध्य नहीं हैं । मगर हाँ, उन्हें चाहिए कि विनीत भावसे वह बात माता-पिताको समझा दें । पिता-माताके वैसी अनुचित आज्ञा देनेके कारण उनके ऊपर अश्रद्धा करना अनुचित है । कारण, सन्तान जो पिता-माताकी भक्ति करती है उसका कारण पितामाताके गुण नहीं हैं, उनके साथ होनेवाला सम्बन्ध ही है । जिसके मा-बाप सद्गुणसंपन्न हैं, उसकी मातापिताकी भक्ति सम्बन्ध और गुण दोनोंके कारण है । किन्तु दुर्भाग्यवश जिसके मा-बाप गुणहीन या दुर्गुणयुक्त हैं, उसे केवल सम्बन्धी अनुरोधसे उनपर भक्तिभाव रखना चाहिए । २७४ कभी कभी नाबालिग लड़की - लड़के मा बापके धर्मको भ्रान्त मानकर उसका पालन अपने लिए अविहित समझते हैं, और साथ ही अन्य धर्मको ग्रहण करना उचित मान बैठते हैं। ऐसी जगहपर क्या कर्तव्य है ? यह प्रश्न पहले कुछ कठिन जान पड़ता है । तब एक पक्षमें कहा जासकता है कि धर्म जब मनुष्यके ईश्वर के साथके सम्बन्ध पर निर्भर हैं, और वह सम्बन्ध जब सब लौकिक सम्बन्धोंके ऊपर है, ऐसी अवस्थामें सन्तान अपने मा-बाप के धर्ममें रहनेके लिए वाध्य नहीं है, खुद उसको जिस धर्म पर विश्वास हो उसी धर्मको ग्रहण करनेके लिए वह वाध्य है । दूसरे पक्ष में कहा जा सकता है कि पहले तो थोड़ी अवस्थामें, जब बुद्धि कच्ची रहती है, धर्मके सूक्ष्मतत्त्व समझ में नहीं आते, और इसी लिए उस अवस्थामें धर्म बदलना अकर्तव्य है । दूसरे, जब सभी धर्मोकी मोटी बात यह है कि ईश्वर और परकाल पर विश्वास रक्खो और आत्मसंयम के साथ सुमार्ग पर चलते रहो, और केवल सूक्ष्मबातों के लिए ही धर्मोंमें भेद है, तब जबतक बुद्धि पक्की न हो ले तबतक धर्म बदलने में रुके रहनेसे, किसीका विशेष अनिष्ट होनेकी संभावना नहीं है । इसके सिवा थोड़ी अवस्था में माबापकी इच्छा के विरुद्ध काम किया जायगा तो धीरे धीरे स्वेच्छाचारिता प्रश्रय पावेगी, और अंतको वह आध्यात्मिक उन्नतिमें बाधा डाल सकती है । अतएव इस तरह अनुकूल और प्रतिकूल युक्तियोंकी आलोचना करके देखनेसे यही जान पड़ता है कि नाबालिग सन्तानके लिए धर्मका परिवर्तन अकर्तव्य है ।
SR No.010191
Book TitleGyan aur Karm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupnarayan Pandey
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size65 MB
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