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________________ १४५ wwwwwwwwwwwwwwwww www.ww छठा अध्याय ] ज्ञान-लाभके उपाय । २ नित्य प्रति पाठकालमें, बीचमें, लड़कोंको विश्राम और खेलके लिए समय देना चाहिए। ३ नित्यके पाठ ( सबक ) का परिमाण इतना होना चाहिए कि लड़के घरमें उसे याद करके विश्राम करनेका समय पा सकें। ४ किसी शिक्षकके ऊपर तीससे अधिक विद्यार्थियोंको एक साथ शिक्षा देनेका बोझ न डालना चाहिए। ५ किस समय कौन शिक्षक किस दर्जेमें किस विषयकी शिक्षा देगा-इस. ब्यौरेके साथ एक दैनिक नियमपत्र भी रहना चाहिए। ६ हरएक दर्जेकी शिक्षाके विषयों और पाठ्यपुस्तकोंका निर्देश यथाक्रम होना चाहिए। पाठ्यपुस्तकें भी यथाक्रम पढ़ी जानी चाहिए । ७ हरमहीने, अथवा दो-तीन महीनेके बाद, शिक्षाकार्यका परिदर्शन (इन्स्पेक्शन ) और विद्यार्थियोंकी परीक्षा होनी चाहिए। उस परीक्षामें हरएक विद्यार्थीका, और औसत हिसाबसे हर एक दर्जेका परीक्षा-फल दिखलाया. जाना चाहिए। ८ छात्रोंके चरित्र और बरतावका संक्षिप्त ब्यौरा हरमहीने उनके अभिभावकोंको बताना उचित है। इस जगहपर छात्रनिवास ( बोर्डिंग हाउस ) के संबंधमें कुछ कहना आवश्यक है। जो सब छात्र दूरसे आये हों, और जिनका कोई अभिभावक निकट न हो, उनके रहनेके लिए विद्यालयके पास, विद्यालयके कर्तृपक्ष ( सुपरिंटेंडेंट इत्यादि) की देखरेखमें, छात्रनिवास रहनेसे, और वहाँ छात्र और शिक्षक दोनोंके एकत्र रहनेसे, सुविधा होती है, इसमें सन्देह नहीं। किन्तु सुविधाके साथ साथ असुविधा भी होती है । बहुतसे विद्यार्थियोंका एकत्र रहना सुशृंखलाके साथ होना अत्यन्त कठिन बात है और देखरेखमें जरा भी त्रटि होनेसे अनेक अनिष्ट होनेकी संभावना होती है। अपने स्वजनोंके बीचमें रहनसे विद्यार्थीके चित्तकी वृत्तियोंका जैसा विकास हो सकता है वैसा छात्रनिवासमें शिक्षकके निकट रहनेपर भी होना असंभव है । विद्यार्थी लोग अगर अपने घरमें रहें तो स्वतन्त्रताका और संसारके सब पहलुओंको देखने-सुननेका अभ्यास कर सकते हैं; किन्तु छात्रनिवासमें रहनेसे वह बात नहीं हो सकती । सुशासित छात्रनिवासमें विद्यार्थीलोग एक मेशीनकी तरह चलाये ज्ञान०-१०
SR No.010191
Book TitleGyan aur Karm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupnarayan Pandey
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size65 MB
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