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________________ छठा अध्याय ] ज्ञान-लाभके उपाय । ___ इन सब दोषोंको दूर करनेके लिए चिन्ताशील महात्मा लोगोंने समय समय पर अनेक उपाय निकाले हैं। राटिस और कमीनियसने शिक्षाको वस्तुगत और प्रकृतिके नियमके अनुरूप-अर्थात् जिस नियमसे प्रकृति पशुपक्षियोंको शिक्षा देती है उस नियमके अनुयायी-बनानेके लिए अनेक बातें कही हैं। राबेलस और मान्टेन्ने शिक्षाका और भी जरा ऊँचा आदर्श दिखलाया है। वे कहते हैं, शिक्षाके द्वारा शिक्षार्थीके शरीर और मनको ऐसा गठित करना चाहिए कि उसके द्वारा वह एक यथार्थ मनुष्य बनाया जाय । इंग्लैंडके प्रसिद्ध कवि मिल्टन और प्रसिद्ध दार्शनिक लकने भी शिक्षाके इसी उच्च आदर्शका आश्रय लेकर अपने ग्रन्थों में शिक्षाके नियम लिखे हैं । रूसो, पेस्टालट्सी और फ्रावेल भी शिक्षाको मनुष्य तैयार करनेका, अर्थात् शिक्षार्थीके चरित्रगठनका, उपाय मानते हैं । शिक्षाकी कठोरता मिटानेके लिए इन लोगोंने विशेष यत्न भी किया है। महात्मा फ्राबेलके मतमें विद्यालयको बालोद्यानका रूप देना चाहिए । इनकी चलाई शिक्षाप्रणाली ' बालोद्यान' प्रणाली कहलाती है और इस देशमें भी प्रचलित हो चुकी है। _ शिक्षाप्रणालीके सम्बन्धमें अनेक देशोंमें अनेक समयोंमें जो मत प्रकट किये गये हैं उनकी आलोचना करके और शिक्षाके उद्देश्य पर दृष्टि रख कर जिन कई एक स्थूल सिद्धान्तों पर पहुँचा जाता है वे यहाँ संक्षेपमें लिखे जाते हैं। यहाँ पर यह कह देना उचित है कि नीचे जो लिखा जाता है उसका कुछ अंश मेरी लिखी हुई 'शिक्षा' नामकी पुस्तकसे उद्धृत किया गया है। (१) शिक्षाप्रणालीका निरूपण करनेके लिए शिक्षाके उद्देश्यका निरूपण आवश्यक है । शिक्षाका उद्देश्य शिक्षार्थीके लिए प्रयोजनीय ज्ञानकी प्राप्ति और उसका सर्वाङ्गीन उत्कर्षसाधन है। केवल ज्ञानी होनेसे ही यथेष्ट न समझ लेना चाहिए; इस कर्मभूमिमें कर्मठ होना भी हमारे लिए वैसा ही प्रयोजनीय है। जीवनकी अवधि कम है, लेकिन ज्ञानके विषयोंकी सीमा नहीं है। सभी विषयोंका ज्ञान प्राप्त करना किसीके लिए भी साध्य नहीं है। इस कारण प्रयोजन भरका ज्ञान पाकर ही सन्तुष्ट होना होगा। और, कर्मठ बननेके लिए देह और मन दोनोंके सर्वाङ्गीन उत्कर्षका साधन आवश्यक है। * Kindergarten शब्दका यही अर्थ है।
SR No.010191
Book TitleGyan aur Karm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupnarayan Pandey
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size65 MB
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