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________________ दिगम्बर जैन साधु [५३६ मुनिश्री कुन्थसागरजी महाराज द्वारा दीक्षित शिष्य मुनि श्री श्रुतसागरजी मुनि श्री शांतिसागरजी मुनि श्री चन्द्रसागरजी क्षुल्लक श्री वर्धमानसागरजी क्षुल्लक श्री आदिसागरजी आयिका सुपार्श्वमतीजी आयिका शांतिमतीजी मुनिश्री श्रुतसागरजी महाराज (मोरेना) जन्म तिथि-भादो कृष्ण ३ सं० १७७१ वीर सं० २४४० पिता का नाम श्री टेकचन्द्रजी माता का नाम -सरस्वती वाई जन्म स्थान-ग्राम होहंना जिला ग्वालियर ( मध्यप्रदेश) मुनि दोक्षा-जेष्ठ शुक्ला सं० २०३१ श्रुतपंचमी दीक्षा नाम-श्री श्रुतसागरजी मोरेनावाले दीक्षा गुरु-श्री १०८ मुनि कुन्थसागरजी महाराज जाति-पल्लीवाल दिगम्बर ___ आप मुरेना २० वर्ष की अवस्था में आ गये थे । आप वहां दुकानदारी करते थे । धर्मध्यान, मुनियों की संगति करना तथा धार्मिक तत्व चर्चा ही आपका विशेष गुण था। इसी प्रकार धर्मध्यान करते हये, संसार शरीर से विरक्त रहे । आप क्रमशः प्रतिमाएं धारण करते रहे। एक बार आपको
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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