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________________ ५२८ ] दिगम्बर जैन साधु FAMInternaamanamaranaanemamataramanantantamtarlamchamanartantrwartantrastrated मुनिश्री विजयसागरजी महाराज द्वारा दीक्षित शिष्य wikituttitute मुनि श्री विमलसागरजी मुनि श्री विमलसागरजी महाराज मुनि श्री विमलसागरजी का गृहस्थावस्था का नाम किशोरीलालजी था। आपका जन्म पोष शुक्ला दूज संवत् १९४८ में हुआ था । आपका जन्म स्थान महानो जिला गुना है। आपके पिता श्री भीष्मचन्दजी थे जो किराने के सफल व्यापारी थे। आपकी माता श्रीमती मथुरादेवी थी। आप जैसवाल जाति के हैं । आपकी धार्मिक व लौकिक शिक्षा साधारण ही हुई। आपके दो विवाह हुए, आपकी दो बहिनें थी। संसार की असारता, शरीर भोगों से उदासीनता के कारण आपमें वैराग्यभाव जाग्रत हुए इसलिए संवत् १९६६ को कापरेन ग्राम रियासत बूदी में श्री १०८ मुनि विजयसागरजी से दीक्षा ले ली । आपने मुरैना, इन्दौर, कोटा, मन्दसौर, उज्जैन, भीलवाड़ा, गुनाहा, अशोकनगर, इटावा, आगरा, लखनऊ, लश्कर, दिल्ली आदि स्थानों पर चातुर्मास किये और वहां की धर्मप्राण जनता को धर्मज्ञान दिया। पाप कर्मदहन और सोलह कारण व्रत करते हैं । कड़वी तूम्बी के आहार से आप बड़वानी में तीन वर्ष तक बीमार रहे । आपने मीठा व तेल का आजन्म त्याग किया है । आपके ऊपर भौर व मच्छ द्वारा उपसर्ग भी किया गया।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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