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________________ दिगम्बर जैन साधु [ ५१३ 209992299229aaaannnaaaa2209annahaa मुनिश्री जपसागरजी महाराज द्वारा दीक्षित शिष्य RELIARRRRRRRRRY REMEMESTERESTERESEREE मुनि श्री पुष्पदन्तसागरजी क्षुल्लक श्री सुमतिसागरजी क्षुल्लक श्री विजयसागरजी TROYERCERMERRRRRRRRRRRRRRRRRRRREDATES मुनि श्री पुष्पदन्तसागरजी महाराज Armaawrana. आपने पू० मुनि जयसागरजी महाराज से मुनि H I : दीक्षा ली तथा आत्म कल्याण के पथ पर अग्रसर हैं । ... ८ . . क्षुल्लक श्री सुमतिसागरजी महाराज श्री १०५ क्षुल्लक सुमतिसागरजी का जन्म सिरोंज (मध्यप्रदेश ) में हुआ। आपने विक्रम संवत् १९६२ में अनुराधा नक्षत्र में मंगलवार को जन्म लिया। आपके पिता श्री मंगलजीत भल्ला थे और माता मिश्रीवाई थी। उन्होंने बड़े स्नेह से आपका नाम बदामीलाल रखा। आपके नाम का प्रभाव जीवन पर भी पड़ा । धर्म और समाज के हित में आप बाहर से बादाम के छिलके से व भीतर से अतीव गुणकारी रहे। __जब असमय में ही गृहस्थी का ग्रह आपको लगा तब आपने पर्याप्त परिश्रम करके सभी वहनों के विवाह किये । आत्मीयों की प्रेरणा से आपने अपना विवाह भी किया। दस बरस तक
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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