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________________ दिगम्बर जैन साधु [ ४६५ क्षुल्लक श्री कैलाशसागरजी महाराज त्यागी का नाम-कैलाशसागरजी महाराज पद क्षुल्लक जन्म तिथि-फाल्गुन सुदी १२ जन्म स्थान-फडीयादरा (साबरकांठा) गुजरात श्रावक अवस्था का नाम-कचरालालजी जैन पिता का नाम-श्री हेमचन्दजी जैन माता का नाम-दीवाली बाई क्षुल्लक दीक्षा-फाल्गुन सुदी । किन से ली-श्री १०८ आचार्य सुमतिसागरजी महाराज से। क्षुल्लक श्री गुणसागरजी महाराज आपका जन्म सेठ शान्तिलालजी की धर्मपत्नी की कोख से सन् १९५८ में मुरैना नगरी में हुा । आपका बचपन का नाम उमेशकुमार था । आपके दो भाई एवं दो बहनें हैं । आपने हायर सेकेन्ड्री तक की लौकिक शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद न्याय व्याकरण एवं सिद्धान्त में प्रवेश लिया। आपकी रुचि संस्कृत में अधिक है । व्याकरण के आप अच्छे जानकार हैं। आपने १२ वर्ष की अवस्था में मुनि श्री विवेकसागरजी के सान्निध्य में पूर्ण केश लोंच कर लिया था। धर्म के प्रति आपकी बाल्यकाल से ही रुचि थी। आपके बाबाजी ने भी क्षुल्लक दीक्षा ले ली जो १०५ क्षुल्लक वर्धमानसागरजी के नाम से जाने जाते हैं । पाप १९७४ में गृह त्याग कर जयपुर नगर में क्षुल्लक सन्मतिसागरजी ज्ञानानन्द के पास पहुंच गये थे । आपने सन् १९७६ में आचार्य श्री १०८ सुमतिसागरजी महाराज से क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण की एवं क्षुल्लक गुणसागर नाम पाया। तभी से आप क्षुल्लक सन्मतिसागरजी के साथ हैं । आपकी सौम्य छवि साक्षात् वीतरागता का प्रतीक है आप अच्छे वक्ता भी हैं । आप अपना अधिक समय धर्म ध्यान एवं अध्ययन में देते हैं।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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