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________________ दिगम्बर जैन साधु मुनि श्री भरतसागरजी महाराज [ ४९३ आपका जन्म १६ दिसम्बर १९५० को ग्राम गूडर खनियाधाना जिला शिवपुरी में श्रीमती भागवतीबाईजी के उदर से हुआ । आपके पिताजी का नाम श्री गुलाबचन्दजी था । आपका वाल्यावस्था का नाम देवेन्द्रकुमार है | आपकी माताजी की रुचि धर्म मे अधिक होने के कारण उन्होंने सन् १९६२ में गृह त्याग कर आचार्य श्री १०८ धर्मसागरजी महाराज से दीक्षा जो अव आर्यिका श्री १०५ विपुलमतीजी हैं । उन्हों माताजी के संस्कार आप पर भी पड़े । धार्मिक संस्कारों के कारण आपने संसार को नश्वर जान प्राचार्य श्री १०८ सुमतिसागरजी महाराज से पांचवीं प्रतिमा शिखरजी में तथा सातवीं प्रतिमा पावापुरी में धारण की। फरवरी १६७९ को श्री चंपापुरी सिद्धक्षेत्र में आचार्य श्री सुमतिसागरजी महाराज से क्षुल्लक दीक्षा धारण की एवं १०५ क्षुल्लक सिद्धसागर नाम पाया । आपने सुमतिसागरजी महाराज से मुनि दीक्षा लो । मुनि श्री अजितसागरजी महाराज [ परिचय अप्राप्य ]
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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