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________________ ४७४ ] दिगम्बर जैन साधु मुनि श्री महाबलजी महाराज . पू. मुनि श्री का जन्म कर्नाटक प्रान्त जिला बेलगांव में खवटखोप्प नामक स्थान में दिनांक २५-१-१६०६ में हुवा था । आपका पालन नानी के यहाँ हुवा था । पिता का नाम कल्लाप्पा दुर्गणावर । तथा माता का नाम गंगप्वा था। आपकी लौकिक शिक्षा सातवीं तक ही हो पायी। आपका पूर्व नाम भिमाप्पा था। आपने मुनि संमन्तभद्रजी महाराज . से २६-१-१९६४ को कारंजा में क्षुल्लक दोक्षा ली। मुनि दीक्षा भी मुनि श्री से ली। आपने कर्नाटक एवं महाराष्ट्र में विहार कर प्राणी मात्र के लिए प्रात्म-कल्याण हेतु धर्म प्रवचन दिया । वर्तमान में १०८ स्व० ५० पू० आ० शान्तिसागरजी महाराज की जन्मभूमि भोजग्राम में उनके स्मारक कार्य में सहयोग दे रहे हैं। आपकी शैली प्रभावकारी है । कठोर मुनि धर्म की चर्या का आप अबाधगति से पालन कर रहे हैं। प्रायिका श्री सुप्रभामती माताजी . आपका जन्म कुरड़वाड़ी ( महाराष्ट्र ) में हुआ। आपके पिताश्री का नाम श्री नेमीचन्दजी है। RATH 3 TIME . . . . .. ! ___ आपका शुभ विवाह १२ वर्ष की छोटी-सी उम्र में श्री मोतीलालजी के साथ हुआ। अभी मेंहदी की लाली हल्की भी न हो पायी थी कि उतर गई। शीघ्र ही इन्होंने अपना चित्त धर्म-ध्यान की ओर लगाया एवं न्याय प्रथमा इन्टर की शिक्षा ग्रहण की। तत्पश्चात् सोलापुर में राजूमती श्राविकाश्रम में १५ साल तक अध्यापन का कार्य किया। वि० सं० २०२४ मिती कातिक सुदी १२ को कुम्भोज बाहुबली में आचार्य १०८ समन्तभद्रजी महाराज से आर्यिका . दीक्षा ग्रहण की एवं इनका नाम सुप्रभामतीजी रखा गया । __आर्यिका श्री इन्दुमतीजी व सुपार्श्वमतीजी के सघ में प्रवेश कर आप स्वाध्याय में मग्न रहती हैं एवं चातुर्मास में छात्राओं को पढ़ाती हैं। . Online
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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