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________________ ३८४ ] दिगम्बर जैन साधु ऐलक श्री चन्द्रसागरजी महाराज आपका जन्म कैलवारा (ललितपुर) निवासी पिता श्री दरयावसिंह एवं माता श्री सरस्वतीबाई के घर सं० १९६२ में हुआ । गृहस्थावस्था का नाम गोरेलाल था । आपने २ शादियां की। आपको ३ लड़कियाँ तथा २ लड़के हुए। आपने सातवी प्रतिमा आचार्य श्री विमलसागरजी से कोल्हापुर में ली क्षुल्लक दीक्षा आचार्य श्री विमलसागरजी से बाराबंकी में ली तथा ऐलक दीक्षा आचार्यश्री १०८ विमलसागरजी से श्री सम्मेदशिखरजो में ली एवं श्री चन्द्रसागर नामकरण हुआ। आप संघ के तपस्वी एवं शान्त परिणामी साधु हैं । ऐलक श्रीकीर्तिसागरजी महाराज श्री मोतीलालजी का जन्म कार्तिक शुक्ला १४ वि० सं० १९६४ को लखुरानी (फतिहावाद) जि. आगरा में हुवा था । आपके पिता का नाम चुन्नीलालजी वरैया तथा माताजी का नाम पूरनदे था। आपकी शिक्षा सामान्य ही थी। आप गृहस्थ अवस्था को सं० २०१३ में छोड़कर क्षुल्लक बन गये। इटावा ( U. P.) में मुनि विमलसागरजी से ऐलक दीक्षा २०२० में धारण की। आपने अनगार, सागार, व्यवहार, प्रवचनसार, आदि अप्रकाशित ग्रन्थों का संकलन किया आपने अपना ज्यादा समय ज्ञानार्जन में व्यतीत किया तथा आजन्म बाल ब्रह्मचारी रहे। ऐलकश्री विजयसागरजी महाराज मोहनलालजी का जन्म कटेरा झांसी में सं० १९५१ में गोलालारे जाति में श्री तीजूलालजी के यहां हुआ था । सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के बाद आपने व्यापारिक कार्य संभाला । ६८ वर्ष तक गृहस्थ में रहने के बाद आपका मन वैराग्य की ओर गया तथा सं० २०२० में बाराबंकी U. P. में ऐलक दीक्षा धारण की। आपने संघ में रहकर आत्म साधना की। आपके गुरु आचार्य विमलसागरजी रहे ।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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