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________________ दिगम्बर जैन साधु माथिका शीलमती माताजी [ ३६३ पू. अम्मा का जन्म शिरसापुर जिला परभणी महाराष्ट्र में हुवा था । आप बाल ब्रह्मचारिणी हैं । श्रापका बाल्यकाल से धर्म कार्यों के प्रति रुझान रहा तथा संस्थानों का संचालन किया। सं० २०१५ में उत्तरप्रदेश फिरोजाबाद में श्री प्राचार्य महावीरकीर्तिजी महाराज से आयिका दीक्षा ली। धार्मिक भावना आपके अन्दर कूट-कूट कर भरी हुई है। आपने अनेकों मन्दिरों में जिन प्रतिमाएँ स्थापित की तथा सारी सम्पत्ति धार्मिक कार्यो में ही लगाई । अब आप ६७ वें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं। आर्यिका सुपार्श्वमती माताजी १०५ श्री सुपार्श्वमती माताजी का जन्म बांसवाड़ा में हुआ । आपके पिता का नाम अजयलालजी व माता का नाम सिंगारीबाई था तथा आपका जन्म नाम रूपारीबाई था। स्कूली शिक्षा कुछ भी प्राप्त न होने से कुछ भी स्वाध्याय वगैरह घर में नहीं कर सके परन्तु अब आपने विमलसागरजी महाराज के पास कुछ अध्ययन किया तब से अपनी दैनिक क्रिया सुचारु रूप से करती हैं आपका उपदेश भी वागड़ी भाषा में अच्छा होता है कुछ शास्त्र का ज्ञान भी हुआ है। मापने सप्तम प्रतिमा के व्रत प्रतापगढ़ में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में आ० श्री महावीरकीतिजी मे लिये प्रत लेकर घर पर ज्यादा नहीं रहे परन्तु दोनों दम्पत्ति साथ में ही व्रती वने और दोनों ने साथ में ही रहकर चौका वगैरह का कार्य किया आपने फिर शिखरजी में विमलसागरजी महाराज से कार्तिक सुदी प्रतिपदा के दिन मा० दीक्षा ग्रहण कर ली और आपके पति ने भी गिरनारजी में फाल्गुन में अष्टाह्निका की चतुर्दशी को महावीरकीतिजी महाराज से क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण को और गिरजी में विमलसागरजी से मुनि दीक्षा ग्रहण की । अभी डूंगरपुर में आप को समाधि हो गई। आपके गृहस्य
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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