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________________ दिगम्बर जैन साधु आर्यिका वीरमतीजी [ ३३६ आपका जन्म हिंगणगांव जि० कोल्हापुर ( महाराष्ट्र ) में हुआ। पिता देवप्पा एवं माता गंगाबाई थीं । आपका पूर्व नाम उमादेवी था । आपका विवाह सखाराम पाटील से हुआ। मांगूर जि० बेलगांव (कर्नाटक) में रहते थे । आपने संसारिक जीवन से मुक्त होने के लिए श्राचार्य श्री देशभूषणजी महाराज से दीक्षा धारण की। आप आचार्य श्री के संघ में रह रही हैं तथा आत्म साधना कर रही हैं । क्षुल्लिका राजमतीजी पार्वती का जन्म बूचाखेड़ो ( कांधला) उत्तरप्रदेश में हुवा था । आपके पिताजी का नाम श्री शीलचंद था माताजी का नाम अंगूरीदेवी था । पू० आचार्य श्री देशभूषणजी महाराज से क्षुल्लक दीक्षा ली। कोल्हापुर में दीक्षा लेने के पश्चात् श्रापने अनेकों स्थानों में भ्रमण किया तथा समस्त भारत वर्ष में विहार कर धर्म प्रभावना की । जयपुर के निकट चूलगिरी क्षेत्र का विकास आपके अथक प्रयत्न का फल है जो जयपुर की शोभा अद्वितीय है तथा आज जो एक क्षेत्र के रूप में प्रगट हो रहा है । आपने जैन धर्म जागृति के कार्यों में विशेष सहयोग दिया है । आप अभी क्षेत्र पर रहकर क्षेत्र की रक्षा तथा उसका विकास कर रही हैं । धन्य है आपके त्याग को तथा श्रापके जीवन को जो मान कषाय को तथा अभिमान को त्याग कर श्रात्म साधना में तत्पर हैं ।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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