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________________ २७६ ] दिगम्बर जैन साधु गर्भावस्था :-गर्भ में थे, उस समय माताजी १९५३ मार्च में हुई भगवान श्री बाहुबली की महामस्तकाभिषेक में गयी थी। धर्म की संस्कार गर्भावस्था में ही प्रारम्भ हुई । बाल्यावस्था : १. मुनिराजों के दर्शन करने में उत्कट भक्ति । २. मुनि बनने की इच्छा प्रकट करते । ३. शादी करने की तरफ निरुत्साह । ४. प्रति दिन मंदिर में जाना । ५. पिताजी - माताजी से धार्मिक सभायें घटनायें सुनना । शिक्षण :- १. बी. कॉम., पदवीधर बी. कॉम. परीक्षा में कर्नाटक विश्व विद्यालय में प्रथम स्थान | २. डिप्लोमा धर्म शास्त्र और तत्वशास्त्र में । ३. एम. ए. के दो वर्ष सम्पूर्ण तत्वशास्त्र में । ४. N. C. C. में Under Officer | समाज संघटना कार्य :--- १. सेक्रेटरी तथा संस्थापक हुबली जैन तरुण संघ २. सेक्रेटरी - दक्षिण भारत जैन युवा परिषद् । ३. धारवाड़ जिल्हा मुनि स्वागत समिति, सेक्रेटरी । ४. सेक्रेटरी - संस्थापक (हुबली जैन समाज मुनि सेवा संघ ) -: स्याग मार्ग : १. शादी नहीं करने की प्रतिज्ञा । ३०-१-१६७६ शुक्रवार दोपहर में ।'
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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