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________________ दिगम्बर जैन साधु [ २७३ मुनि सुदर्शनसागरजी महाराज आपका जन्म राजस्थान प्रान्त के बांसवाड़ा जिले में नरबाली ग्राम में हुवा था । आपके पिता की धार्मिक वत्ति थी तथा प्राप पर बचपन से धर्म संस्कार थे । १० वर्ष की अवस्था से आप साधु संगति में रहने लगे थे आपने आचार्य शान्तिसागरजी की काफी सेवा की सैंकड़ों मील तक आप आचार्य श्री के साथ पैदल विहार में साथ रहे । गांव के पाप नेता थे सभी मसलों का हल आपके माध्यम से ही होता था। आपने सम्मेदशिखरजी की १५ बार यात्रा की। घाटोल में सं० २०३४ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर आपने मुनि दीक्षा श्री प्राचार्य धर्मसागरजी के शिष्य दयासागरजी से ली। आपने बागड़ प्रान्त में भ्रमण कर जैन धर्म की प्रभावना की, अब आचार्य श्री के पास हैं। मुनि रयणसागरजी महाराज राजस्थान प्रान्त के डूगरपुर जिले में सागवाड़ा नामक ग्राम में ७-१०-५४ को रुकमणी वाई के यहां जन्म लिया आपके पिता का नाम छगनलालजी गांधी था । आप ४ भाई १ बहिन हैं । आपकी लौकिक शिक्षा ८ वीं तक ही हो पाई। आपका पूर्व नाम प्रानन्दकुमार था। २५ वर्ष की उम्र में आपके अन्दर वैराग्य के अंकुर प्रगट हो गये तथा आप अपना व्यापार १ छोड़कर जैन साधुओं की संगति में लग गये तथा आपने ७ फरवरी १९७८ को मुनिदीक्षा श्री दयासागरजी महाराजजी से ले ली। धन्य है आपकी धर्म पौरुषता कि चन्द दिनों में ही आप सर्व परिग्रह त्याग कर भरा पूरा परिवार छोड़कर निर्ग्रन्थ . दीक्षा धारण की । आप इसीप्रकार तप और त्याग तथा संयम की दिशा में अग्रसर रहें यही भावना है। Marathisex om जोडकर . . . ..
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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