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________________ ५६६ ५६७ ५५० ५५२ [ २५ ] पृष्ठ सं० । पृष्ठ सं० मुनि शान्तिसागरजी ५४० क्षुल्लिका जिनमतीजी " चन्द्रसागरजी ५४० मु० श्री पावसागरजी द्वारा दीक्षित शिष्य ५६४ क्षु० वर्द्धमानसागरजी ५४१ मुनि उदयसागरजी , आदिसागरजी ५४२ , बाहुबलीसागरजी ५६४ आर्यिका सुपार्श्वमतीजी ५४३ , अमृतसागरजी ५६५ , शान्तिमतीजी ५४३ ॥ वासुपूज्यसागरजी प्रा. श्री सूर्यकोतिजी द्वारा दीक्षित मुनि श्री नमिसागरजी द्वारा दीक्षित ५६६ मुनि गणेशकीतिजी (क्षु० गणेशप्रसादजी वर्णी) ५४४ क्षु० निर्वाणसागरजी क्षु० पूर्णसागरजी प्रायिका विशुद्धमतीजी द्वारा दीक्षित मुनि श्री गणेशकीतिजी द्वारा दीक्षित ५५१ क्षुल्लिका विनयमतीजी ५६७ ऐलक पन्नालालजी ५५१ मा. अनन्तमतीजी द्वारा दीक्षित ५६८ क्षु० मनोहरलालजी वर्णी क्षुल्लिका कुन्थमतीजी , चिदानन्दजी ५५४ स्वयं दीक्षित ५६६ आ सुवर्णमतीजी द्वारा दीक्षित शिष्य ५५५ मुनि वीरसागरजी आयिका वीरमतीजी " सिद्धसागरजी ५७० मुनि श्री सिद्धसागरजी द्वारा दीक्षित शिष्य ५५६ , वर्द्ध मानसागरजी प्रायिका ज्ञानमतीजी ५५६ " कुन्थुसागरजी मुनि श्री सुपार्श्वसागरजी द्वारा दीक्षित ५५७ मुनि नेमिसागरजी ५७१ मुनि सुबलसागरजी क्षु० जम्बूसागरजी ५७४ क्षु० शान्तिमतीजी प्राचार्य योगीन्द्र तिलक शांतिसागरजी ५७४ प्रा. श्री सुबलसागरजी द्वारा दीक्षित शिष्य ५५६ मुनि मल्लिसागरजी ५७६ मुनि विजयसेनजी ५६० , आनन्दसागरजी ५७७ ५६० "धरसेनसागरजी मुनि चन्द्रसागरजी g৩৩ ५६१ सुधर्मसागरजी आयिका सुमतिमतीजी , अभिनन्दनसागरजी ५७८ आयिका बाहुबली माताजी मुनि सिद्धसागरजी ऐलक धर्मसागरजी ५७६ प्रायिका सुव्रतामाताजी ५६३ । मुनि पिहिताश्रवजी ५७६ क्षुल्लिका कुन्थुमतीजी ५७१ ५७१ ५५७ क्षु० भन्यसेनजी ५६२ ५६२
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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