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________________ २१० ] दिगम्बर जैन माधु मुनिश्री पुष्पदन्तसागरजी मुनि श्री १०८ पुष्पदन्तसागरजी का गृहस्थावस्था का नाम जीवनलालजी था । श्रापका जन्म आज से लगभग ६२ वर्ष पूर्व मौजमाबाद में हुआ था । श्रापके पिता श्री चांदमलजी थे जो कपड़े के सफल व्यापारी थे । आपकी माता श्री फुलाबाई थी । आप खंडेलवाल जाति के भूपण है । आपकी धार्मिक एवं लौकिक शिक्षा साधारण ही हुई । विवाह भी हुआ और परिवार में एक बहिन है । नित्य प्रति शास्त्र स्वाध्याय करने से आपमें वैराग्य प्रवृत्ति जाग उठी । आपने श्रावण कृष्णा छठ, विक्रम संवत् २०२१ में आचार्य श्री १०८ धर्मसागरजी महाराज से इन्दौर में मुनिदीक्षा ले ली । आपने इन्दौर, झालरापाटन, टोंक, सवाईमाधोपुर, शिखरजी, आरा आदि स्थानों पर चातुर्मास कर धर्मवृद्धि की है । श्री सम्मेदशिखरजी की २०१ वन्दना की । बाहुवली गिरनारजी की भी तीन बार वन्दना की है । आपने घी, मीठा, नमक का त्याग कर दिया है।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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