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________________ सम्पादन विशेष धर्म प्रभावना - संयमदान - दिगम्बर जैन साधु [ १८७ १, समाधि दीपक, २. श्रमण चर्या । ३. निर्धारण कल्याणक एवं दीपावली पूजन विधि, ४. श्रावक सुमन संचय आदि । आपकी प्रखर और मधुर वाणी से प्रभावित होकर श्री दि० जैन समाज जोवनेर जि० जयपुर श्री शान्ति वीर गुरुकुल को स्थायित्व प्रदान करने हेतु श्री दि० जैन महावीर चैत्यालय का नवीन निर्माण कराया एवं आपके सानिध्य में ही वेदी प्रतिष्ठा कराई । जन धन एवं आवागमन आदि अन्य साधन विहीन अलयारी ग्राम स्थित जिन मन्दिर का जीर्णोद्धार, २३ फुट ऊँची १००८ श्री चन्द्रप्रभु भगवान की नवीन प्रतिमा तथा संगमरमर की नवीन वेदी की प्राप्ति एवं वेदी प्रतिष्ठा आपके ही सप्रयत्नों का फल है । इसी प्रकार अनेक स्थानों पर कलशारोहण महा महोत्सव हुए, जैन पाठशालाएँ खोली गई, श्री दि० जैन धर्मशाला टोडारायसिंह का नवीनीकरण भी आपकी ही सद्प्रेरणा का फल है । श्री व्र० सूरज वाई मु० ड्योढी जि० जयपुर की, क्षुल्लिका दीक्षा, श्री व्र० मनफूल वाई मातेश्वरी श्री गुलावचन्दजी, कपूरचन्दजी सर्राफ टोडारायसिंह, जि० टोंक को अष्टम प्रतिमा एवं श्री कजोड़ीमलजी कामदार, जोवनेर जि० जयपुर आदि को द्वितीय प्रतिमा के व्रत श्रापके कर कमलों से प्रदान किये गये । ;
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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