SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 234
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५६ ] आर्यिका दीक्षागुरु शिक्षा गुरु - विद्या गुरु दीक्षा स्थान दीक्षा तिथि वर्षा योग जिन मुखोद्भव साहित्य-सृजन -- मौलिक रचनाएँ संकलन दिगम्बर जैन साधु परम पू० कर्मठ तपस्वी अध्यात्मवेत्ता, चारित्र शिरोमणि, दिगम्बराचार्य १०८ श्री शिवसागरजी महाराज । परम पू० सिद्धान्तवेत्ता आचार्य कल्प १०८ श्री श्रुतसागरजी महाराज | परम पू० अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी उपाध्याय १०८ श्री अजितसागरजी महाराज । श्री अतिशय क्षेत्र पपौराजी ( म०प्र० ) 1 सं० २०२१ श्रावण शुक्ला सप्तमी दिनांक १४-८-६४ ई० । सं० २०२१ में पपौरा क्षेत्र पर दीक्षा हुई पश्चात् क्रमश : श्री अतिशय क्षेत्र महावीरजी, कोटा, उदयपुर, प्रतापगढ़, टोडारायसिंह, भिण्डर,. उदयपुर, अजमेर, निवाई, रेनवाल ( किशनगढ़), सवाई माधोपुर, सीकर, रेनवाल ( किशनगढ़ ), निवाई, निवाई, टोडारायसिंह आदि । १. टीका - श्रीमद् सिद्धान्त चक्रवर्ती नेमिचन्द्राचार्य विरचित त्रिलोकसार की सचित्र हिन्दी टीका | २. भट्टारक सकल कीर्त्याचार्य विरचित सिद्धान्तसार दीपक पर नाम त्रैलोक्य दीपिका की हिन्दी टीका 1. ३. तिलोयपण्णत्ती - आचार्य यतिवृषभ प्रणीत की हिन्दी टीका । १. श्रुत निकुञ्ज के किञ्चित् प्रसून ( व्यवहार रत्नत्रय की उपयोगिता ) २ गुरु गौरव. ३. श्रावक सोपान और बारह भावना । १. शिवसागर स्मारिका, २. आत्म प्रसून !
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy