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________________ 170 ] दिगम्बर जैन साधु मुनि दीक्षा के बाद आपका प्रथम चातुर्मास सीकर दूसरा लाडनू (राजस्थान ) और तीसरा जयपुर खानियाँ में हुआ / आपने जब से यह मुनि पद ग्रहण किया तब से आज तक अनेकों व्यक्तियों के हृदय में सम्यग्दर्शन की भावना को जाग्रत किया। नियम और सप्त व्यसनों का त्याग करते हुये यज्ञोपवीत देकर हजारों को सुपथ पर पहुंचाया। सैकड़ों मांसाहारियों को आजीवन मांस, मधु का त्याग कराया और अनेकों से नशीली वस्तुओं के सेवन न करने के व्रत लिवाये / इस प्रकार संघमें विहार कर भगवान महावीर स्वामी के दिव्य संदेशोंको फैलाते हुये मानव आत्माओं के कल्याण के लिये बड़ा महत्वशाली कार्य कर रहे हैं। आपके श्री युगल चरणों में कोटिशः नमन / opdiosaare
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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