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________________ १६४ ] दिगम्बर जैन साधु ८. मुनि-मनोरजंन शतक-इसमें सौ संस्कृत श्लोकों के द्वारा मुनियों का कर्तव्य वरिणत है। हिन्दी रचनाएँ १. ऋषभावतार-अनेक हिन्दी छन्दों में भ० ऋपभदेव का चरित्र-चित्रण है। २. गुणसुन्दर वृत्तान्त–इसमें भ० महावीर के समय में दीक्षित एक श्रेष्ठी पुत्र का चरित्र है। ३. भाग्योदय-इसमें धन्य कुमार का चरित्र चित्रण है। ४. जनविवाह विधि-सरल रीति से वणित है। ५. सम्यक्त्वसारशतक-हिन्दी के सौ छन्दों में सम्यक्त्वका वर्णन है। ६. तत्वार्थसूत्र टीका--अनेक उपयोगी चर्चाओं के साथ हिन्दी अनुवाद है। ७. कर्तव्य पथ प्रदर्शन-इसमें श्रावकों के कर्तव्यों पर प्रकाश डाला गया है । ८. विवेकोदय-यह आ० कुन्दकुन्द के समयसार गाथाओं का हिन्दी पद्यानुवाद है। ६. सचित्त विवेचन-इसमें पागम प्रमाणों से सचित्त और अचित्त का विवेचन है। १०. देवागम स्तोत्र-यह आ० समंतभद्र के स्तोत्र का हिन्दी पद्यानुवाद है। ११. नियमसार-यह आ० कुन्दकुन्द के नियमसार गाथाओं का पद्यानुवाद है। १२ अष्टपाहुड़-यह आ० कुन्दकुन्द के अष्टपाहुड़ गाथाओं का पद्यानुवाद है । १३. मानव-जीवन-मनुष्य जीवन की महत्ता बताकर कर्तव्य पथ पर चलने की प्रेरणा । १४. स्वामी कुन्दकुन्द-और सनातन जैन धर्म अनेक प्रमाणों से सत्यार्थ जैन धर्म का निरूपण कुन्दकुन्दाचार्य के ग्रन्थों के आधार पर किया गया है। जब आपके एक भाई की पत्नी का मरण हुआ तब आपको काफी दुःख हुआ। संसार को असार समझा । आपने संवत् २०१८ में ज्येष्ठ शुक्ला १० मीं को श्री १०८ प्राचार्य देशभूषणजी
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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