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________________ मुनि श्री धर्मसागरजी महाराज मुनि श्री का जन्म सं० १९५७ में पाछापुर जि० बेलगांव, मैसूर स्टेट में श्री कल्लप्पा के गृह में हुआ था। आपकी माता का नाम ज्ञानमति था । आपने कानड़ी में ही शिक्षा प्राप्त की थी । तीर्थराज सम्मेद शिखरजी की यात्रा को श्राप गये तब आपके मन में दीक्षा लेने के भाव हुए तथा तिजारा राजस्थान में क्षुल्लक दीक्षा ली। आपका नाम क्षु० यशोधर रक्खा गया । गजपन्था तीर्थक्षेत्र पर आपके परिणामों की निर्मलता अधिक देखकर गुरुवर्य ने ऐलक दीक्षा दी। पालीताना क्षेत्र पर आपको मुनि दीक्षा दी, तब आपका नाम धर्मसागर रखा गया । आपके गुरु आ० शान्तिसागरजी थे । आप संस्कृत, मराठी, हिन्दी, कन्नडी, तमिल आदि भाषा के अधिकारी विद्वान थे । आपने धर्म प्रचार के " लिए सर्वस्व त्याग किया । आप आचार्यश्री के संघ में तपस्वी साधु थे । अन्त समय तक धर्म प्रचार में त रहे । अन्त में समाधि को धारण कर आत्म कल्याण किया ।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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