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________________ ( ६६ ) श्री दिगम्बर जैन धर्म प्रकाशक मंडल देहली ने अजैन विद्वानों की सम्मति संग्रह कर "जैन धर्म का महत्व नामा ट्रेक्ट ता० २८ जनवरी १९२१ को इस प्रकार प्रकाश किया था। जनधमे का महत्व (१) सुप्रसिद्ध श्रीयुत महात्मा शिवबसलालजी वर्मन M, A, " साधू।" सरस्वती भण्डार" " तत्वदर्शी मार्तण्ड । " लक्ष्मीभण्डार" " सन्त" " सन्देश : आदि उर्दू तथा नागरी मासिक पत्रों के सम्पादक “ विचार कल्पदम , "विवेक कल्पद्रुम' 'वेदान्त कल्पद्रुम आदि के रचयिता विष्णएराणादि अनेक ग्रन्थों के अनुवादक. ... इन महात्मा महानभाव द्वारा सम्पादित " साधू" नामक उद मासिकपत्र जनवरी सन १९११ के अङ्क में प्रकाशित "महावीर स्वामी का पवित्र जीवन नामक लेख का सारांश (जो न केवल श्रीमहावीर स्वामी के संबंध में किंत ऐसे सर्व जैन तीर्थकरों, व जैन मुनियों के सम्बन्ध में समझना )। . हिंदुओं में ऐसे लोग कम नजर आयेंगे जो महावीर स्वामी के पाक और..मुकहस नाम से वाकिफ होंगे ।ये जैनियों के आचार्य गुरु धे : पाक दिल, पाक ख्याल, मुजस्सिमपाकी व पाकीलागी थे। . . . .. हिंदुओ! अपने बुजुर्गों की इज्जत करना सीखो, मजहवी इख्तलाफात की वजहूं से उनकी शान में भूलकर भी कल्में नाजेवा इस्तेमाल न करो। जैनो हम से जुदा नहीं हैं। उन
SR No.010185
Book TitleDharm Jain Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDwarkaprasad Jain
PublisherMahavir Digambar Jain Mandir Aligarh
Publication Year1926
Total Pages151
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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