SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 71
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कुछ प्रसंग और निर्वाण भे राजा के समक्ष अपने संघ की एक स्त्री के खो जाने की फरियाद की और वुद्ध तथा उसके शिष्यों पर शक प्रकट किया। राजा के आदमियो ने शव की तलाश की और उसे बुद्ध के विहार के पास ढंढ निकाली। थोड़े समय में सारे शहर में यह बात फैल गई और धुंद्ध तथा उनके भिक्षुओं पर से लोगो का विश्वास उठ गया। हर कोई उनके ऊपर थू-थू करने लगा। ___९. इससे बुद्ध जरा भी नहीं डरे । 'झूठ बोलनेवाले को पाप के सिवा दूसरी गति नहीं है। यह जानकर वे शान्त रहे। १० कुछ दिनों बाद जिन हत्यारो ने वैरागिन को खून किया था वे एक शराब के अड्डेपर जमा होकर खून करने के लिए मिले हुए धन का बटवारा करने लगे। एक बोला: "मैंने सुन्दरी को मारा है इसलिए में बड़ा हिस्सा लूंगा।" दूसरो बोला: "यदि मैमे गला ने दवाया होता वो सुन्दरी चिल्लाकर हमारा भंडाफोड़ कर देती।" ११ यह बात राजा के गुप्तचरों ने सुन ली। उन्हें पकड़ कर वे राजा के पास ले गए। हत्यारों ने अपना अपराध स्वीकार कर जो 'कुछ हुआ था कह दियो । युद्ध पर लगाया गया अपराध मिथ्या सावित होने से उनके प्रति पूज्यभाव और भी बढ़ गया और पहले के सब वैषगियो का तिरस्कार हुआ।
SR No.010177
Book TitleBuddha aur Mahavira tatha Do Bhashan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorlal Mashruvala, Jamnalal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1950
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy