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________________ बुद्ध - को भी नहीं मारना-मनुष्य-वध करनेवाला, भ्रूण-हत्या करनेवाला निकल जाय । (४) अदभित्व : अपने को प्राप्त न हुई समाधि प्राप्त हुई बतानेवाला भिक्षु संघ में से निकल जाय। ६. भाषा: (२२) बौद्ध-धर्म के एक खास नियम द्वारा लोक-भाषाओं में ही उपदेश करने की आज्ञा दी गई है। वैदिक-(संस्कृत) भाषा में अनुवाद करने की मनाही की गई है। ७. अतिथि के धर्म: वाहरगाँव से बिहार में जानेवाले भिनु को वहाँ पहुँचनेपर नीचे मुजब बर्ताव करना चाहिए। (२३) प्रवेश करते ही चप्पल निकाल झटक देना, छाता नीचे रख देना, सिर पर न हो तो उसे उतार कंधे पर लेना और धीरे से प्रवेश करना। भिक्षुओ के एकत्रित होने की जगह की तलाश कर पैर धोना । पैर धोते समय एक हाथ से पानी छोड़ना और दूसरे हाथ से पैर साफ करना; चप्पल पोंछनेका कपड़ा कहाँ है यह पूछ उससे चप्पल पोछना । पहले कोरे टुकड़े से पोंछ वाद में गीले कपड़े से पोंछना । विहार में रहनेवाले वृद्ध भिक्षुओं को प्रणाम करना और छोटों के प्रणाम स्वीकार करना; अपने रहने के लिए स्थान की तलाश कर वहाँ आसन लगाना -खाने-पीने की तथा
SR No.010177
Book TitleBuddha aur Mahavira tatha Do Bhashan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorlal Mashruvala, Jamnalal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1950
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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