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________________ निर्वाण प्राप्त किया । किन्तु यह एक अद्भुत संयोग की ही बात कही जा सकती है कि भगवान बुद्ध का जन्म, बोधिप्राप्ति एवं निर्वाण ये तीनों घटनाएं एक ही दिन बैसाख पूर्णिमा को हुई । कुछ ही समय बाद यह धर्म विश्व धर्म बन गया। बुद्ध ने कोई पुस्तक नहीं लिखी उनके उपदेश मौलिक ही होते थे बुद्ध की मृत्यु के बाद उनके शिष्यों ने उपदेशों का संग्रह 'त्रिपिटक' के रूप में किया। त्रिपिटक अपने मूल रूप में पाली भाषा में लिखे गये हैं। इनमें सुत्तपिटक, अभिधम्मपिटक विनय पिटक हैं। 'सुत्तपिटक' में धर्म सम्बन्धी वर्णन है और 'अभिधम्मपिटक' में बुद्ध के दार्शनिक विचारों का उल्लेख है और 'विनयपिटक' में नीति सम्बन्धी वर्णन है । त्रिपिटक के अलावा मिलिन्दपन्हो, बुद्धचरित (अश्वघोष ) से भी बौद्ध धर्म की जानकारी प्राप्त होती है । बुद्ध एक समाज सुधारक थे दार्शनिक नहीं थे क्योंकि दार्शनिक वही होता है जो आत्मा - जीव जगत आत्मा-परमात्मा आदि के विषय में सतत चिन्तन में क्रियाशील रहता है किन्तु बुद्ध दर्शनशास्त्र से सम्बन्धित किसी प्रश्न पर 'मौन' रहा करते थे 'अव्याकतानिप्रश्नानि' कहकर टाल जाते थे ऐसे १० प्रश्न थे । १. क्या यह विश्व शास्वत है? २. क्या यह विश्व अशास्वत है? ३. क्या यह विश्व असीम है? ४. क्या यह विश्व ससीम है ? ५. क्या आत्मा और शरीर एक है ? ६. क्या आत्मा शरीर से भिन्न है ? ७. क्या मृत्यु के बाद तथागत का पुनर्जन्म होता है ? ८. क्या मृत्यु के बाद तथागत का पुनर्जन्म नहीं होता है ? ६. क्या उनका पुनर्जन्म होना और न होना दोनों ही बाते सत्य हैं? 67
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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