SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ का नाम वर्द्धमान था। ये राजवंश के थे । तीस वर्ष की अवस्था में परिव्राजक हुये और केवल ज्ञान की प्राप्ति के लिये वृत्तों का पालन करते हुये इन्होंने कठोर तपस्या की और इनका मनोरथ सफल हुआ और यह सर्वज्ञ हो गये। तभी से ये महावीर के नाम से प्रसिद्ध हुये तीस वर्ष तक धर्म प्रचार कर ७२ वर्ष की अवस्था में इन्होंने पावा नगरी में निर्वाण लाभ किया। इनकी मृत्यु के बाद जैनियों में दो सम्प्रदाय हो गये - एक श्वेताम्बर दूसरा दिगम्बर । श्वेताम्बर परम्परा के अनुसार महावीर का विवाह हुआ था तथा उनकी एक कन्या थी। लेकिन दिगम्बर मान्यता के अनुसार महावीर का विवाह नहीं हुआ था। वे अन्तर्मुखी प्रकृति के थे तथा सदा आत्मचिन्तन में निमग्न रहा करते थे । भगवान महावीर के उपदेशों से जैन धर्म के द्वादशांग रूप शास्त्रों की रचना हुई है। भगवान महावीर नें अपनें उपदेश तत्कालीन लोकभाषा अर्धमागधी में दिये थे । उनकी उपदेश सभा समवसरण कहलाती थी तथा उसमें पशु-पक्षी से लेकर देवताओं तक सभी के लिये स्थान रहता था । महावीर नें साधु-साध्वी, पुरूष गृहस्थ भक्त तथा महिला गृहस्थ भक्त (श्राविका ) के एक चतुर्विध धर्मसंघ की स्थापना की जो आज भी विद्यमान है। I महावीर के पूर्व पार्श्वनाथ थे जिन्होंने बहुत से कठोर नियमों का पालन कर अन्तःकरण की शुद्धि के लिये अपने शिष्यों को उपदेश दिया था। पार्श्वनाथ के उपदेशों के आधार पर महावीर ने अपना कर्त्तव्य निश्चय किया । महावीर ने कहा कि साधुओं को भी इन्द्रिय निग्रह कर कठोर रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये तथा संसार से निर्लिप्त रहना चाहिये । और अन्ततः सभी साधुओं को भी दिगम्बर रहने का आदेश दिया। ऐसा आदेश देने के पीछे कारण यह था कि उनके अनुसार जब तक साधु लोग वस्त्र का भी परित्याग नहीं कर देंगे तब तक उनके मन से अच्छे तथा बुरे का विचार दूर नहीं हो सकेगा एवं वे लोग निर्लिप्त न हो सकेंगे। इस तरह के उपदेश से ही जैन 58
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy