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________________ द्वारा ही जाना जा सकता है' और शब्द ही ब्रह्म का स्रोत है। शुद्ध ज्ञानस्वरूप परमसत को उपनिषदों द्वारा ही जाना जा सकता है । आचार्य शङ्कर ने सभी मुख्य उपनिषदों और ब्रह्मसूत्रों पर भाष्य लिखे है । ब्रह्मसूत्र उपनिषदों का ही सार है । भाष्यों का उद्देश्य यही प्रतीत होता है कि शंकर उनके विचारों का स्पष्टीकरण और प्रचार करना चाहते थे । शङ्कर के विचारों का स्रोत उपनिषद् ही रहे है इस तथ्य को पूर्वी साहित्य के अनेक विद्वान भी स्वीकार करते है। प्रो० पाल, ड्युसन के मतानुसार 'भारतीय प्रज्ञान के वृक्ष पर उपनिषदों से अच्छा पुष्प और वेदान्त दर्शन से अच्छा कोई फल नहीं है। इस दर्शनतन्त्र का जन्म उपनिषदों की शिक्षाओं से ही हुआ और शंकर ने इसे इसके उत्कृष्ठतम स्तर तक पहुंचाया।' प्रो० मैक्समूलर के अनुसार भी शङ्कर के दर्शन उपनिषदों के लगभग सभी बीज विद्यमान है। इस सम्बन्ध में वे कहते है कि जब हम विचार करते है कि वेदान्त दर्शन के सारभूत तत्वमीमांसीय विचार कितने सूक्ष्म एवं गूढ़ है तो यह जानकर आश्चर्य होता है कि शंकर ने उनको या उनके बीजों को प्राचीन उपनिषदों में से खोज निकाला है । हम यह अस्वीकार नहीं कर सकते कि वेदान्ती दार्शनिकों के बहुत से गूढ़ विचारों की जुड़े उपनिषदों में निहित है । प्रो० रानाडे भी मानते है कि ब्रह्मसूत्र और उपनिषद् वे आधार शिलाएं है जिनपर समस्त वेदान्त दर्शन का भवन खड़ा है। किन्तु ब्रह्मसूत्र उपनिषदों के सिद्धान्तों का सारांश मात्र है और भगवतगीता भी उन्हीं सिद्धान्तों का प्रतिपादन करती हैं जो उपनिषदों में निहित है। अतः आचार्य शङ्कर ही नहीं वरन् लगभग सभी अनुपंथी लोग शंकर के धर्म-दर्शन का स्रोत उपनिषदों को ही मानना उचित समझते है । 1 शाङ्कर भाष्य, ब्रह्मसूत्र (प्रस्तावना) 2 सिद्धान्त मुक्तावली पृ० २३ 3 आउट लाइन्स आफ वेदान्त सिस्टम ऑफ फिलासफी, प्रीफेस 4 दि लेक्चर्स आन वेदान्त फिलासफी, पृ० १३५, १३६ 257
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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