SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 263
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ का प्रतिपादक है। जो शंकराचार्य को अभीष्ट था। इस पर १६वीं शताब्दी में स्वामी करपात्री के "अद्वैत बोधदीपिका" ग्रन्थ लिखे आचार्य त्रोटक ने भी कई ग्रन्थ लिखा इसमें मुख्य "श्रुतिसारसमुद्धरण"है जो त्रोटक छन्द में लिखा गया है। इसमें १७६ त्रोटक हैं। इसलिए इसे 'त्रोटक श्लोक' भी कहा गया है। यद्यपि 'त्रोटक' का नाम आनन्द गिरि था। जो शङ्कराचार्य के भाष्यों पर टीका लिखने वाले 'आनन्दगिरि' से भिन्न थे। ५. आचार्य शङ्कराचार्य द्वारा प्रणीत ग्रन्थ शङ्कराचार्यकी कृतियों के रूप में सम्प्रति दो सौ से भी अधिक ग्रन्थ उपलब्ध होत हैं। जिसका वर्णन शङ्कर ग्रन्थवली में मिलता है। किन्तु इन सभी ग्रन्थों की रचना गोविन्दपाद के शिष्य आदि शङ्कराचार्य ने ही की है यह प्रमाणित नहीं हो पाता क्योंकि परवर्ती जगद्गुरू शङ्कराचार्यों में भी अनेक रचनायें की और उन्होंने ग्रन्थों की पुष्पिका में अपनें को आदि शङ्कराचार्य के सदृश गोविन्द पाद का शिष्य स्वीकार किया। अपनें वास्तविक गुरु के नाम का निर्देश नहीं किया है। इससे आदि शङ्कराचार्य के ग्रन्थों का निर्णय करना कठिन हो गया है। जैसे- इन ग्रन्थों में विवेक चड़ामणि, दशश्लाकी, दृगदृश्य विवेक, अपरोक्षानुभूति आदि अधिक प्रचलित हैं। डा० श्री कृष्णपाद बेवल्लकर, डा० गोपीनाथकविराज और डा० संगम लाल पाण्डेय ने इन सभी ग्रन्थों की प्रामाणिकता पर विचार किया है। शङ्कराचार्य की प्रामाणिक रचनायें केवल निम्न हैं १. वादरायण के ब्रह्मसूत्र पर शरीरकभाष्य । २. ईश, केन, कठ, प्रश्न, एतरेय, तैत्तिरीय, छान्दोग्य, बृहदारण्यक, मुण्डक, __और माण्डूक्य इन दश उपनिषदों पर भाष्य । ३. भगवद्गीता का भाष्य। 246
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy