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________________ कठोर तपस्या किये जिससे भगवान शिव प्रसन्न होकर सर्वज्ञ पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। प्रौढ़ावस्था में शिवराधनास्वरूप साक्षात शङ्करावतार शङ्कर नामक बालक का प्रादुर्भाव हुआ। ततो महेशः किल केरलेषु श्रीमवृषाद्वौ करुणा समुद्रः । पूर्णानदी पुण्यतटे स्वयंभू लिङ्गात्मनाऽनङ्गधगोविरासीत् ।। आनन्दगिरि ने अपने गन्थ 'शङ्कर विजय' ग्रन्थ में बताया है कि अष्टम वर्ष में विशिष्टता देवी का विवाह हुआ था। वे बचपन से ही शिवभक्त थीं। पति के सन्यास धर्म ग्रीण कर गृहत्याग करने के अनन्तर विशिष्टा देवी चिदम्बरम् ग्राम के शिवविग्रह की सेवा-पूजा लग गयी थी। उनकी सेवा से संतष्ट होकर महादेव ने उन्हें दर्शन दिया और शिव के आशीर्वाद से शङ्कर का दैवी जन्म हुआ था। जयराम मिश्र ने लिखा है कि शुभग्रहों से युक्त, शुभराशि, पुनर्वसु नक्षत्र, सूर्य मंगल और शनि उच्च स्थान एवं गुरु केन्द्रस्थ, वैशाख शुक्ल पञ्चमी, रविवार को मध्याह विशिष्टा देवी ने तेजपुञ्ज बालक को उसी प्रकार जन्म दिया था। जिस प्रकार श्री पार्वती जी ने कुमार कार्तिकेय को जन्म दिया था। माधवाचार्य ने शङ्कर दिग्विजय में लिखा है लग्ने शुभे शुभयुते सुषुवे कुमारं श्रीपार्वतीव सुखिनी शुभवीक्षिते च। जाया सती शिवगुरोर्निज तुंगसस्थे सूर्ये कुले रविसुत च गुरौ च केन्द्रे।।' आचार्य शङ्कर का जन्म केरल प्रान्त में 'कालडी' नामक ग्राम में नम्बूदरी पाद ब्राह्मण कुल में हुआ था। किन्तु कब हुआ था? उस प्रश्न का यथार्थ उत्तर देना नितान्त कठिन है। 1 श्री शंकर दिग्विजय (माधवाचार्य विरचित) अनुवादक पं० बलदेव उपाध्याय, पृ०४६ सर्ग २ श्लोक ५२ देवोऽप्यपृच्छदथ तं द्विज वृद्धि सत्यं, सर्वज्ञमेकमपि सर्वगुणोपपन्नम् । पुत्र ददान्यथ बहून्विपरीतकांस्ते, भूर्यायुषस्तनुगुणनवदद् द्रिजेश.।। जयराम मिश्र। अनादि शंकराचार्य जीवन और दर्शन पृ० १६ लोक भारती प्रकारशन इलाहाबाद । माधवाचार्य। शंकर दिग्विजय, पृ०६ प्रकाशक- महन्त- नरोत्तम गिरि श्री श्रवणनाथ ज्ञान मन्दिर, हरिद्वार। 241
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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