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________________ १२. रामप्रसाद जानकी भाष्य (सीताविशिष्टाद्वैतवाद) २०वीं शती० ई० १३. मुक्तानन्द ब्रह्ममीमांसाभाष्य (नव्यविशिष्टाद्वैतवाद) स्वामीनारायणी १६वीं शती० ई० १४. पञ्चानन तर्करत्नशक्तिभाष्य (शक्तिविशिष्टाद्वैतवाद) भट्टाचार्य २०वीं शती० ई० १५. आर्यमुनि वेदान्त दर्शन भाष्य (आर्यसमाजी) २०वीं शती० ई० १६. मधुसूदन ओझा विज्ञानभाष्य (आधुनिक विज्ञान) इन सभी भाष्यों में शैव भाष्य, वीर शैवभाष्य, शक्ति भाष्य की रचना क्रमशः शैवमत, वीरशैवमत तथा शाक्त मत को वेदान्त के अन्तर्गत लाने के लिए की गयी । इन भाष्यों के अतिरिक्त वेदान्त सूत्रों पर अनेक वृत्तियां भी लिखी गयी हैं। और इन वृत्तियों पर कई टीकायें लिखी गयी हैं। वादरायण के विषय में इतना निश्चित है कि ये ब्रह्मवादी, एकेश्वरवादी ,मोक्षवादी और ज्ञानमार्गी थे उन्होंने वेदान्तेतर दर्शनों का खण्डन करके वेदान्त की सर्वश्रेष्ठता प्रतिपादित की थी। वादरायणं की 'चतः सूत्री 'वेदान्त की अक्षय निधि है। बोधायन बोधायन शङ्कर पूर्व आचार्यों में तथा ब्रह्मसूत्र के ज्ञाता सर्वाधिक प्राचीन थे। इनका काल लगभग प्रथम द्वितीय शताब्दी मान जाता है। बोधायन शंकर पूर्व वेदान्ताचार्यों में तथा ब्रह्मसूत्र के ज्ञात भाष्यकारों में सर्वाधिक प्राचीन थे इनका काल लगभग प्रथम द्वितीय शताब्दी तक का माना जाता है। आचार्य रामानुज ने श्रीभाष्य नामक ब्रह्मसूत्र व्याख्या के प्रारम्भिक भाग में लिखा है 198
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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