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________________ वादरायण रचित ब्राह्मण सूत्र में चार अध्याय हैं जो क्रमशः समन्वय अध्याय, अविरोध अध्यय, साधन अध्याय और फल अध्याय हैं। प्रत्येक अध्याय में चार पाद हैं प्रत्येक पाद में कई अधिकरण हैं और प्रत्येक अधिरण में कई सूत्र हैं। ब्रह्मसूत्र को शङ्कराचार्य में 'शारीरक मीमांसा' सूत्र कहा है क्योंकि इसमें शारीरक आत्मा (देही आत्मा) का विवेचन है और कुछ लोग इसे 'वेदन्त सूत्र ‘कहते हैं। ब्रह्मसूत्र पर अनेक आचार्यों में भाष्य लिखा जिसमें यह सर्वाधिक सुरक्षित रहा, विलुप्त नहीं हुआ ब्रह्मसूत्र की प्रासंगिकता और प्रामाणिकता इससे भी सिद्ध होती है कि आज भी उसपर भाष्य या वृत्ति लिखने की परम्परा बनी हुई है। आचार्य बलदेवउपाध्याय ने लिखा है कि 'ब्रह्मसूत्र वेदान्त की कसौटी है। ब्रह्मसूत्र पर अनेक भाष्य लिखे गये हैं। उसमें से निम्नलिखित को प्रमुख भाष्य माना जाता है। भाष्य काल क्र०सं० लेखक शंकराचार्य १. भाष्कर ४. ॐ ॐ ॐ ॐ bi रामानुज मध्व निम्बार्क श्रीकण्ठ श्रीपति शारीरकभाष्य (अद्वैतवाद) भाष्करभाष्य (भेदाभेदवाद) श्रीभाष्य (विशिष्टाद्वैतवाद) पूर्णप्रज्ञभाष्य (द्वैतवाद) वेदान्तपारिजात (द्वैताद्वैतवाद) शैव भाष्य (शैवविशिष्टाद्वैतवाद) श्रीकरभाष्य (वीरशैवमत) आनन्दभाष्य (रामविशिष्टाद्वैतवाद) अणुभाष्य (शुद्धाद्वैतवाद) विज्ञानामृतभाष्य (अविभगाद्वैतवाद) गोविन्द भाष्य (अचिन्त्यभेदाभेदवाद) ७वीं शती० ई० ८वीं शदी ई० ११वीं शती० ई० १३वीं शती० ई० ११वीं शती० ई० १३वीं शती० ई० ११वीं शती ई० १५वीं शती० ई० १५वीं शती ई० १७वीं शती० ई० १८वीं शती० ई० रामानन्द वल्लभ १० विज्ञान भिक्षु ११. बल्देवविद्याभूषण 197
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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