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________________ भूधरजे नशतक भोगकरना (निबार ) छोड़ ५.६ सरलार्थ टीका जूवाखेलना मांस खाना सदरा पोनो बेसबा रखनीं शिकार खेलनाची री करनां परस्त्रो से भोग करनां ये सातों बिसन छोड़ जूत्रानिषेध कथन कूप् छन्द सकल पाप संकेत, आपदा हेत कुलच्छण । कलहखेत दारिद्र' देत दौखत निज अच्छण | गुण समेत यशशेत, केत रवि रोक जैसे | श्रगुण निकर निकेत, लखलेत- दुधजन ऐमे । जूवासमान इसलोक मैं, और अन तनपेखिये । इसबिसनरायकेखेलको;कौतकहूं नहिँ देखिये ५१ शम्दार्थ टोका ( कल ) सब ( सकेत ) सैन इशारा अवधि ( आपदा ) विपत (कुलच्छन ) खोटे लक्षा ( कलह ) झगड़ा ( खेत । चिज गर ( दारिद्र ] कगला पन ( अच्छण ] ऋक्षण - आंख समेत सहित '
SR No.010174
Book TitleBhudhar Jain Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhudhardas Kavi
PublisherBhudhardas Kavi
Publication Year
Total Pages129
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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