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________________ तुत्य प्रथम शतका को जो लेखकों की अज्ञानता से अशुद्ध होरहा था शुद्ध कार शब्दार्थ वा सरला टीका प्रत्येक मूल छन्द भूधर कृत के तले लिख क र अर्थप्रकाशिनी नामा टीका बनादई और जो छन्द नाम गण अक्षर मा नाकर बिगड़ रहे थे यूपदीप नाम पिङ्गल को सहायता से ठ क कर दिये . विदित हो कि इस जैन शतक विर्षे दश प्रकार के सर्व १०७ छन्द है जिनके नाम और गिन्तो नीचे लिखी जाता है पोमावतौ छन्द ५ छप्पै १४ मत्तगयन्द २३ घनाशरी ३३ दोहा २२ सो रठा २ दुर्मिला ४ गीता १ सवैया एकतीसा २ कडपा १ और अनुकमणिका पत्र जिस से जैन शतक के सब शङ्गों के नाम छ न्दि संख्या सहित प्रकट होंगे आदि मैं लिखदई है- मेरा विचार था कि शो भूधर दास जी का कुछ जीवन चरित्र लिखू परन्तु कुछ हाल मालूम न हीं हो सका श्री पाच पुराण भाषा इनका बनाया हुवा अति सुन्दर कमि तोकर प्रसिद्ध है दोहाछल्ट उन्निस सौ चालीस पद, विक्रम बर्ष प्रदीन माघ शुक्ल तिथि पञ्चमी, टोका पूरण कौन ३ अव पण्डित जनों से प्रार्थना है कि यदि कहीं शब्द गत वा अर्थ गत दोष अवलोकन करें तो मुझको निपट अनजान जानकर उपहास्य न करें अपना दयालुता हेतु क्षमा रूप वन सौं ढांकलें दोहा छन्द है सज्जान प्रति प्रार्थना; जो इस टीका माह सर्प दोष तो शुध कार; अवगुग्ण पकरें नाह ४ आपकाकृय पात्र अमन सिंह
SR No.010174
Book TitleBhudhar Jain Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhudhardas Kavi
PublisherBhudhardas Kavi
Publication Year
Total Pages129
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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