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________________ चतुर्थ खण्ड : बयालीसवाँ अध्याय ૬૭૬ हरजभुजगलौह चाभ्रक बंगचूर्ण कनकविजययष्टी शाल्मली नागवल्ली । वृतमधुसितदुग्धं पुष्पधन्वा रसेन्द्रो । रमयति गतरामा दीर्घमायुर्बलञ्च ।। ( भै० र०) कामिनो दर्पन रस-शुद्ध पारद और शुद्ध गंधक दोनो की कज्जली करे दोनो के वरावर धतूर पोज ( शुद्ध ) का चूर्ण मिलावे । फिर धतूर वीज से निकाले तैल को भावना देकर छाया में सुखाकर शोशी मे भरकर रख ले । मात्रा माधी रती। अनुपान घो, चीनो तथा दूध । इसके उपयोग से प्रमेह रोग दूर होता है, मनुष्य को अधिक वोर्यशाली और कामक्षम बनाता है । मन्मथाभ्र रस-शुद्ध पारद तथा गधक समभाग लेकर कज्जली ४ तोला, निश्चन्द्र अनक भम्म २ तोला, भीमसेनी कपूर १ तोला, वग भस्म एवं ताम्र भस्म -१ तोला, लौह भस्म १ तोला, विधारे की जड या बोज, श्वेत जीरा, विदारीकद, शतावर, तालमखाना वीज, खिरेंटी वाज, केवाछ वीज अतोस, जावित्री, जायफल, लवङ्ग, भाग के वाज, श्वेतराल, अजवायन प्रत्येक का चूर्ण ६-६ मागे। सबको जल के साथ घोटकर २-२ रत्तो को गोलियां बना ले । मन्दोग दुग्ध के अनुपान के साथ १-१ गोली दिन मे दो या तीन बार ले। यह श्रेष्ठ बलबर्वक एव उत्तम बाजीकरण योग है। यह तीव्र अग्निवर्वक है, ध्वजभंग को चिकित्मा में प्राय व्यवहृत होता है । चन्द्रोदय रस-पीपश्व रसायनो मे रम सिन्दूर, स्वर्ण सिन्दूर, चन्द्रोदय मकरध्वज, सिद्ध मकरध्वज सभी वृष्य एव वाजीकरण होते है। इनका स्वतन्त्र अथवा अन्य औषधियो के साथ मिलाकर भी उपयोग किया जा सकता है । एक दो उत्तम योग नीचे उद्धत किए जा रहे हैं।। चन्द्रोदय मकरध्वज (स्वल्प)-जायफल, लवङ्ग, भीमसेनी कपूर, काली मिच का चूर्ण प्रत्येक एक-एक तोला, स्वर्ण भस्म तथा कस्तूरी १-१ माशा तथा रस सिन्दूर ४ तोले २ माशा । सबको एकत्र खरल कर पान के रस मे घोटकर २-२ रत्ती की गोलियां बना ले, छाया मे सुखा कर शीशी मे भर ले। यह योग बल, वोर्य एव अग्नि का वर्धक तथा अत्यन्त बाजीकर है। मकरमुष्टि योग-मकरध्वज, कान्तलौह भस्म तथा शुद्ध कुपोलु सव समभाग । पीसकर शीशी मे भर कर रख ले। मात्रा १-२ रत्ती । अनुपान पान के बीडे मे रख कर भोजन के बाद । घृत, मलाई या मक्खन के साथ सुबह शाम । अश्वगंधा घृत या कामदेव घृत-अश्वगध ४०० तोला, गोखरू , २०० तोला, परियारा, गिलोय, सखिन, विदारीकद, शतावरी, शु ठी, पुनर्नवा,
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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