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________________ चतुर्थ खण्ड : उन्तालीसवाँ अध्याय ६२१ सामान्य लक्षण-लक्षण और निवृत के अनुसार आधुनिक ग्रन्थो में कुष्ठ के तीन प्रकार बतलाये गये है। १. ग्रन्थि कुष्ठ ( Nodular or lempromatous type) रोग में प्रथम कई आकार-प्रकार की लालरग की गाठे उत्पन्न होती है। कभी-कभी कई प्राथिया मिल कर एक बडा धन्ना बना लेती है। सज्ञावाही नाड्यग्नो ( Nerve endings) के नष्ट होने पर ये स्वापयुक्त ( anaesthetic) एव लोमरहित हो जाती है। ये गाठे अधिकतर चेहरे पर मस्तक, भ्र, कपोल और वर्णपाली में पाई जाती है । इसके अतिरिक्त इस तरह की गाठे रोगी के हाथ, कलाई, बाहु, ऊरु तथा कटि प्रदेश के वाह्य तल पर भी पैदा होती है। इस से रोगी का चमडा बहुत मोटा और चेहरे की आकृति बहुत खराब सिंह सम ( Lion face ) हो जाती है । ग्रथियो के फूटने से व्रण बनते है । रोग का प्रभाव मुख, गला, नासिका और नेत्रो मे पाया जाता है । गले मे होने पर स्वरभग, नासा मे होने से नासाभग और आखो के प्रभावित होने पर आंखें लाल हो जाती है। २ नाड़ी कुष्ठ ( Nervous variety)-इस मे कुष्ठ के जीवाणुवो का नाडो के ऊपर प्रभाव पड़ता है। जिससे स्वार, स्वेदाभाव, सरसराहट, चुनचुनाहट आदि लक्षण पैदा होते है । जो प्राचीन दृष्टि से कुष्ट के वातिक प्रकार मे मिलते है। ३. मिश्र प्रकार ( Mixed type )-इस मे कुष्ट के दोनो प्रकार के लक्षण मिलते रहते है । इस प्रकार के रोगी ही अधिक मिलते है। इसमे अथिया भी उत्पन्न होती है और वात नाडिया मोटी पड़ जाती है। इन्ही लक्षणो का वर्णन प्राचीन ग्रथकारो ने सप्त महाकुछो मे किया है । कुष्ठ के त्वचागत होने से वर्ण मे परिवर्तन, त्वचा मे रूक्षता, सुन्तता, रोमहर्ष तथा स्वेद की अत्यधिक प्रवृत्ति होती है। रक्तगत कुष्ठ के होने पर खुजली तथा दुर्गधित पूयस्राव होता है, कुष्ठ मासाधित होने पर त्वचा का मोटा होना, मुख का सूखना, कर्कशता, पिडिकावो की उत्पत्ति, सुई की चुभोने जैसी पीडा, फोडो की उत्पत्ति इत्यादि लक्षण पाये जाते है । जव कुष्ठ का प्रभाव मेदधातु तक पहुँच जाता है, तो अंगुलि का गलकर गिरना, गति करने में असमर्थता, अगो मे पीडा, घावो का फैलना आदि पाया जाता है। अस्थि और मज्जा तक कुष्ठ के पहुंचने पर नासिका का गलकर बैठ जाना, आखो मे लाली, घावो में फोडो का पडना तथा स्वरावसाद आदि लक्षण होने लगते है । साध्यासाध्यता--त्वचा, रक्त एव वात-कफजन्य कुष्ठ साध्य होता है।
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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