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________________ ६२० भिपर्म-सिद्धि नीच कर्मों के प्रभाव से तीनो दोप कुपित होकर त्वचा-रक्त-माम और शरीर के जलीय धातु को दूपित कर देते है। इस से अठारह प्रकार के कुष्ठ रोग उत्पन्न हो जाते है । इस प्रकार सात द्रव्य अर्थात् तीन दोप एवं चार दूष्य मिल कर कुष्ठ के उत्पादक होते है । आचार्य सुश्रुत का मत है कि त्रिदोष कुपित होकर प्रथम त्वचा में लक्षण उत्पन्न करता है--और उपेक्षा करने पर पश्चात् रक्तादि घातुओ को प्रभावित करता और अन्दर में प्रविष्ट कर जाता है । ____ आधुनिक ग्रथो में कुष्ठ में उत्पादक हेतु के रूप में दो वर्ग पाये जाते है । प्रधान हेतु कुष्ठ दण्डाणु ( Bascillus leprae) का उपसर्ग तथा सहायक हेतु इसके अनर्गत बाहार-विहार सम्बन्धी अनियम, दुर्बलता उत्पन्न करने वाले रोग जैसे विषम ज्वर-कालाजार-फिरंग-अकुश कृमि प्रभृति रोग। इस रोग का संचय काल २ साल मे दस साल तक या अधिक भी हो सकता है। कुष्ट के प्रकार--सभी कुष्ठ त्रिदोपज होते है। फिर भी दोपो को उल्वणता के विचार से उनके कई भेद हो जाते है । महा कुष्ठ सात प्रकार के होते है उनके नाम १. कापाल कुप्ठ (वाताधिक्य से ), २. औदुम्बर कुष्ठ (पित्ताधिक्य मे), ३ मण्डल कुष्ठ ( श्लेष्माविक्य से ), ४ ऋष्यजिह्व ( वात-पित्ताधिक्य से) ५. पुण्डरीक कुष्ठ (पित्तकफाधिक्य से) ६. सिध्म कुष्ठ ( वातकफाधिक्य से ) तथा ७ काकण कुष्ठ (त्रिदोष से ) क्रमश पाये जाते है । ___ ग्यारह क्षुद्र कुष्ठो में १ एक कुष्ठ ( Psoriasis), २. गजचर्म या हस्तिचर्म, ३ किटिभ ४ वैपादिक ( Rhagades) ५ अलस या अलमक ( Linchen ), ६. चर्मदल ( Excoriation ) ७. पामा (Scabies ) ८ फच्छु ( Dry Eczyma) ९ विस्फोट ( Bullae ), १० विचिका ( Weeping Eczyma ), ११ शतारु ( Erythemas ) गिनाये गये है। कुप्ठो के नामकरण मे चरक तथा सुश्रुत के मन्तव्य में थोडा अन्तर है । मुश्रुत न चमकृष्ठ, वैपादिक, अलसक, कच्छ, विस्फोट तथा गतार का वर्णन क्षुद्र कुण्ठो म नहीं किया है अपितु इनके स्थान पर स्थूलारुष्क, परिसप, रकमा, विसपं, महाकुष्ठ और मिथ्म का वर्णन किया है। दद् का वर्णन मुश्रुत ने महाकुण्ठ में और चरक ने सिम का वर्णन महाकुष्ठो में किया है। क्षुद्र कुण्ठो मे दोपो का विचार करें तो चर्मकुण्ठ, एककुष्ठ, किटिभ, सिध्म, बलम और विपादिका वात और कफ की अधिकता से पैदा होते है । दद्र, शतारु, विस्फोट, पामा तथा चर्मदल नामक कुण्ठ कफ-पित्तजन्य होते हैं ।
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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