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________________ ४२० भिपकर्म-सिद्धि धज (Dueto Alcohol Haemorhage &Dehydration) विशुद्ध पैत्तिक दाह है-इनमे पित्तशामक उपचारो से लाभ होता है परन्तु धातुक्षयोत्थ दाह जिसमे वायुकोप प्रधान हेतु होता है वह वातनाशक उपायो से शान्त होता है । क्रियाक्रम-सामान्य-पित्त ज्वर मे जो दाह की चिकित्सा मे आहारविहार तथा उपचार बतलाये गये हैं । वही उपचार दाह के शमन के लिये करना चाहिये ।' पित्त ज्वर, मदात्यय, रक्तपित्त तथा दाह रोग मे पित्त के शमन के लिए लगभग समान उपक्रम ही वरते जाते हैं । बरफ या शीतल जल बाहय तथा पीने के लिए आभ्यन्तर प्रयोग, पूरे शरीर पर कस्तूरी, श्वेतचदन, कपूर और खस को ठडे पानी मे पीस कर लेप करना, धारागृह मे बैठना, सहज स्नेहयुक्त, मुग्ध और मजुल आलाप करने वाले बालको का समाश्लेप ( आलिङ्गन), खसकी टट्टी लगे पानी के छिडकाव वाले कमरे और पखे की हवा में बैठना ( Air conditioned Rooms ), कवियो का साहित्य-सरस वाणी या सुकुमारियो का गान सुनना, पीने के लिये अगूर का रस, ईख का रस, नारिकेल जल, आँवले का पानी, फलो के रस, फालसा का शवंत, कोमल और मूत्रल फलो का सेवन, धनिया को रात्रि मे भिगोकर सवेरे उसका वासो पानी पीना, या जीरे का पानी, अगुरु, लोध्र, चदन आदि का उद्वर्तन, नदी-जलाशय के समीप का वास, ठंडे पर्वतो और निर्झर के समीप का वास, गाय का दूध-घृत-मक्खन का सेवन, ककडी, पेठा, केला-मुनक्का, खजूर, छुहारा, सिंघाडा आदि फलो का सेवन । चीलाई और परवल का शाक, मूग या मसूर की दाल और साधारण चावल-रोटी का भोजन आदि। ___ गर्ममसाले-क्षार-कटु-तिक्त-उष्ण द्रव्यो का सेवन; विरुद्ध अन्न-पान, वेगविधारण, हाथी-घोडे की सवारी, परिश्रम, व्यायाम, धूप का सेवन, हिंगु या ताम्बूल का खाना, स्त्रीसंग, दधि, मत्स्य आदि पित्तकर द्रव्यों का पूर्णत. परिहार दाह की अवस्था मे कर देना चाहिये। १ कपूर, सस, श्वेत चन्दन का ठण्डे पानी मे पीसा लेप शरीर पर करना ।२ भेपज २ शतधोत या सहस्रधीत घृत का लेप । गोघृत को फूल या कासे के वर्तन में रखकर सो पानी या हजार बार पानी से धोया घृत पूरे शरीर मे लगाने से १ यत् पित्तज्वरदाहोक्त दाहे तत्सर्वमिष्यते । ( भै र ) २ अयि नितम्बिनि खेलनलालसे मधुरवाणि निकाममदालसे । वपुपि दाहवता विहित हित हिमहिमाशुजलेरनुलेपनम् ।।
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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