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________________ ३२४ भिषकर्म-सिद्धि कामला तथा हृद्रोग में लाभप्रद रहता है। यह एक परमोत्तम योग है। मात्रा २ तोला भोजन के बाद समान जल मिलाकर । लौहासब--(भा. मं) वृत से स्निग्ध घट मे २ द्रोण ( २६ सेर) जल भर कर उसमे ५ सेर पुराना गुड, मवु ३१ सेर छोडकर भली प्रकार मिला मौर हाथो से मलकर एक कर दे । पञ्चात् उसमें लौह भस्म, त्रिकटु, त्रिफला, अजवायन, वायविडङ्ग, मोथा, चित्रक प्रत्येक का ८ तोला प्रक्षेप। पश्चात् घडे का मुख बंद कर १ मास तक संधान करे। पश्चात् छानकर बोतलो में भर दे। मात्रा २॥ तोले अनुपान समान जल से । दोनो वक्त भोजन के बाद । पाण्ड, कामला, विपमाग्नि में लाभप्रद । पुनर्नवादि तैल-पुनर्नवा पंचाङ्ग का चतुर्यागावशिष्ट क्वाथ, तिल तेल तथा तेल में चतुर्थांश निम्नलिखित कल्क डालकर पाक । त्रिकटु, त्रिफला, शृङ्गी, धान्यक, कट्फल, गटी, दार्वी, प्रियङ्ग, पद्मकाष्ठ, हरेणु, कुष्ठ, पुनर्नवा, यमानी, कलौजी, छोटी इलायची, दालचीनी, लोव, तेजपान, नागकेगर, वच, पीपरामूल, चव्य, चित्रक मूल, माफ, सुगंवबाला, मजीठ, रास्ना, धमामा प्रत्येक एक एक वोला । तैल पाक विधि से मंद यांच पर पाक करके रखले । पाण्डु, कामला, कुम्भ कामला तथा हलीमक मे पिलाने तथा मालिग के लिये। पाण्डु रोग में औपधि-व्यवस्थापत्र उपर्युक्त मोपवि योगो में से किसी एक लौह या मण्डर के योग की १ मात्रा प्रात, तथा १ मात्रा सायंकाल में देनी चाहिये। जैसे मण्डूर भस्म ४ २०, गंख भस्म १ २० मिलाकर एक सुवह और एक शाम केवल मधु से अथवा घृत १ तो० मधु माने के साथ नयवा हरीतकी चूर्ण २ मागे और वृत तथा मधु के साथ मिलाकर दे। इसी भॉति नवायस प्रति मात्रा २ रत्ती मुबह-जाम उपयुक्त अनुपान ने अथवा योगराज या पाण्डु पंचानन रस इसी अनुपान या दूध से सुबह-गाम दिया जा सक्ता है। भोजन के बाद प्रतिदिन लौहासव या कुमार्यासव अथवा वायरिष्ट दोनो वक्त बड़े चम्मच से दो चम्मच पानी मिलाकर पीने के लिये देना चाहिये। मामलक्यवलेह रात्रि में सोते वक्त या प्रात काल मे १-२ तोले दूध के साथ प्रतिदिन दिया जा सकता है। मज्ज पाण्डु यथवा कृमिजात पाण्डु में कृमिघ्न बोपवियों का योग करके भी देना चाहिए । जैसे-कृमिमुद्गर रस ४ २०, मण्डूर भस्म ४ २०, शंन्व भस्म.१ रत्ती मिलाकर । एक या दो मात्रा प्रात सायम् गे और मवु से, मण्ट्रक भस्म के स्थान पर नवायन या पाण्ड पंचानन भी मिलाया जा सकता है (प्रति मात्रा दो से ४ रत्ती)। रात्रि में पलाग-बीजादि
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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