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________________ १६४ भिषकर्म-सिद्धि पर एक नाद या शब्द सुनाई देता है। वह जीवित गरीर का वोवक है । इस जीवित गरीर की चिकित्सा करना ही वैद्य का प्रयोजन है। इस अर्थ मे भी कायचिकित्सा, इस शब्द का प्रयोग हुआ है। काय का एक और अर्थ है जाठराग्नि । जव तक जाठराग्नि है तभी तक शरीर जीवित है-धुक बुक् शब्द की उत्पत्ति भी इस जाठराग्नि (पेट की अग्नि ) के प्रज्वलित रहने पर ही संभव रहती है । अस्तु काय शब्द से जाठराग्नि का बोध होता है । ___ "कायो जाठराग्निः अनलिपिहिते कणयुगले धुक् इति शब्दश्रवणात् तात्स्थ्याद् वा कायशब्देन अग्निरुच्यते । उक्तं च भोजेन जाठरः प्राणिनामग्निः काय इत्यभिधीयते । यस्तं चिकित्सेत्सीदन्तं स वै कायचिकित्सकः ।। ( भोज) कायस्यान्तराग्नेश्चिकित्सा कायाचकित्सा' अर्थात् जीवित प्राणियो की जाठराग्नि को काय कहते है । उस अग्नि के विकृत हो जाने पर जो उपचार उसके सुधारने के लिये किया जाता है उसको कायचिकित्सा कहते हैं और उपचार करने वाले व्यक्ति को कायचिकित्सक कहते है। चिकित्सा गब्द की एक सामान्य व्याख्या प्रस्तुत करते हुए चरक ने लिखा है-'धातुओ की विषमता होने पर, वैद्य-रोगी-ओपध-परिचारक प्रभृति चारो अङ्गो से सुनज्ज होकर, धातुओ की साम्यावस्था में लाने वाली प्रवृत्ति को चिकित्मा शब्द से अभिहित किया जाता है । चतुर्णा भिपगादीनां शस्तानां धातुवैकृते । प्रवृत्तिर्धातुसाम्यार्था चिकित्सेत्यभिधीयते ।। (च सू ९) वैद्यक ग्रंथो मे जाठराग्नि का बहुत महत्त्व दिया गया है । गीता में भी इसे वैश्वानर कहा गया है-भगवान् ने अपने को इमी का रूप बतलाया है। यह अग्नि जब तक दीप्त रहती है कोई भी रोग नही होता और इसके विकृत होने पर ज्वर, अतिसार प्रभृति रोग हो जाया करते है । अस्तु कायचिकित्सक को उपचारकाल में सर्वोपरि ध्यान इस जाठराग्नि के ऊपर ही केन्द्रित करना होता है। चरक में लिखा है "अग्नि के गान्त हो जाने पर प्राणी मर जाता है, ठीक रहने पर नीरोग हो कर जोता है, विकृत होने पर रोगी हो जाता है अतः सब के मूल मे अग्नि है।" इस अग्नि के पर्याय रूप में 'काय' शब्द का प्रयोग होता है। इसलिये अग्नि के विचार की प्रधानता होने से इस अग का नाम ही कायचिकित्सा तत्र पड गया।
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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