SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 201
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्वितीय खण्ड : द्वितीय अध्याय १५१ योगायोग :-उत्तर वस्ति के सम्यक् योग के लक्षण, हानियां और उपद्रवो को चिकित्सा स्नेह वस्ति या अनुवासन के समान ही है । वस्ति कर्म में प्रयुक्त होने वाले प्रधान भेषज दशमूल को ओपधियां, एरण्डमूल, पुनर्नवा, यव, कोल, कुलत्य, गुडूची, मदन फल, पलाश, कत्तृण, स्नेह (घृत, तैल, वसा, मज्जा), पच लवण ।' ( विस्तार में ज्ञान के लिए इन औषधियों का संग्रह चरक विमान स्थान आठवें अध्याय मे द्रष्टव्य है। नस्य कर्म ( Insufflation or Inhalation through Nose ) निरुक्ति तथा भेट :-औपधि से सिद्ध स्नेह नासिकाओ से दिया जाने के कारण नस्य कहलाता है । यह नस्य दो प्रकार का है, (१) शिरोविरेचन (२) स्नेहन । यह दो प्रकार का नस्य भी पांच प्रकार का है यथा, नन्य, शिरोविरेचन, प्रतिमर्श, अवपीड और प्रधमन । इनमे नस्य और शिरोविरेचन मुख्य है। नस्य का ही भेद प्रतिमर्श है। शिरोविरेचन के भेद:-अवपीडन और प्रधमन है। नस्य शब्द इन पाचो के लिए होता है। नस्य :-इसमें जो स्नेह शून्य शिर वालो ( खाली सिर की प्रतीति ) मे स्नेहन के लिए, ग्रीवा और स्कन्ध मे बल लाने के लिए अथवा दृष्टि की निर्मलता के लिए दिया जाता है, उस स्नेह में खासकर नस्य शब्द बरता जाता है। यह नस्य ( स्नेह ) वात से पीडित सिर में, दात, केश, श्मश्रु के गिरने मे, भयानक कर्णशूल में, कर्ण क्ष्वेड मे, तिमिर, स्वरभेद, नासा रोग, मुख शोष, अववाहुक, असमय में झरियो मे, या बाल श्वेत हो जाने पर, वात-पित्तजन्य कष्टदायक मखरोगो मे या दूसरे रोगो मे वात-पित्त नाशक द्रव्यो से सिद्ध घी, तेल, वसा या मज्जा स्नेह से नस्य देना चाहिए। शिरोविरेचन :-कफ से भरे तालु, कठ और सिर मे, अरोचक और सिर के भारीपन मे, शूल मे, पोनस मे, अर्धावभेदक मे, कृमि, प्रतिश्याय और १ उदावर्तविवन्धेषु युज्यादास्थापनेषुञ्च । अतएवौषधगणात् सकल्प्यमनुवासनम् । मारुतघ्नमिति प्रोक्त संग्रह पाचकार्मिक ॥ ( च सू २) २ गौरवे शिरस. शूले पीर्धावसेऽद्धविभेदके । क्रिमिव्याधावपस्मारे घ्राणनाशे प्रमोह के । (च सू २)
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy