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________________ [७९] माता है ? हमारे ख्यालसे वहांपर एक नागराजने भगवानकी विनय और भक्ति की थी और उनकी पवित्र स्मृतिमें एक मंदिर और स्वर्णलेपयुक्त प्रतिबिंब वनवाई थी, उसीके उपलक्षमें यह स्थान पूज्य माना जाने लगा है । पार्श्वनाथनीके सम्बन्धमें शास्त्र इसके अतिरिक्त और कोई उल्लेख नहीं करते हैं। कलिकुण्ड अथवा कलिकुण्ड पार्श्वनाथ नामक तीर्थ भी दोनों संप्रदायोंमें मान्य है । यहांपर करकण्डु महाराजाने अनेक जिनमंदिर और रत्नमई पार्श्वप्रतिमा ननवाये थे, यह दिगम्बर शास्त्रोका कथन है । इसके अतिरिक्त श्वेतांबर संप्रदायमे कुकुटेश्वर, स्तंमनक, मयुग, शंखपुर, नागहद, लाटहद और स्वर्णगिरि नामक स्थान पार्श्वनाथनीके सम्पर्कसे पवित्र हये तीर्थ माने जाते हैं। दिगंबर संप्रदायमें भी उपरोक्त के अलावा श्री खण्डगिरि उदयगिरि, राजगृही (विपुला चल पवत), खजुराहा, अतिशयक्षेत्र कुरगमा (झांसी), वालावेट अतिशयक्षेत्र, ग्वालियर, भातकुली ( अमरावती), अतरीक्ष पार्श्वनाथ (सिर पुर), कुडलपुर, कुकुटेश्वर, (इन्दौर), द्रोणागिरि, नैनागिरि, मुक्तागिरि, बनोलिया अतिशयक्षेत्र, फालोदी पार्श्वनाथ, चौबलेश्वर अतिशयक्षेत्र, मक्सी पार्श्वनाथ, श्री विघ्नेश्वर पार्श्वनाथ, कचनेर अतिशयक्षेत्र, तेरपुर (धाराशिव), बाबानगर अतिशयक्षेत्र, अमीजरा पार्श्वनाथ अतिशयक्षेत्र, श्रीक्षेत्र तिरुमलै, मूडबद्री, श्रवणबेलगोला इत्यादि स्थानोंसे भगवान पार्श्वनाथनीका विशेष सम्बध माना जाता है । इस प्रकार प्रकट है कि प्राचीनकालसे ही भगवान पार्श्वनाथजीके पवित्र स्मारकमें अनेक स्थान पवित्र माने जाने लगे थे और अनेक चैत्य, मंदिर, विहार व गुफायें भी बन गये थे।
SR No.010172
Book TitleBhagavana Parshvanath
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages497
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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