SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 477
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - भगवान पार्श्व व महावीरजी। [३९५ ऐसा व्यक्ति नहीं दीखता जिसके द्वारा महावीरस्वामीके पहलेसे नग्नवेषका प्रचार किया गया हो, सिवाय भगवान पार्श्वनाथजीके ! इसलिये हठात यह मानना पड़ता है कि भगवान् पार्श्वनाथजी भी नग्नवेषमें रहे थे और उनके शिष्य भी वैसे ही रहते थे । जैन साधुओंकी सर्वोच्च अवस्था नग्न थी, यह बात दिगम्बर, श्वेतांबरे, दोनों ही जैन संप्रदायोंके शास्त्रों और ब्राह्मणे एवं बौद्ध ग्रथोंसे भी प्रमाणित है। तथापि अन्यत्र हमने बौद्ध शास्त्रोंके आधारसे यह सिद्ध करदिया है कि भगवान पार्श्वनाथजीके शिष्य भी नग्न वेषमें रहते थे, क्योंकि 'महावा में निन 'तित्थिय' श्रमणोंको नग्न और हाथकी अंजुलिमें भोजन करते बतलाया है वह जैन साधु हैं और यह प्रगट ही है कि बुद्ध ने अपनेसे प्राचीन साधुओका उल्लेख इस विशेषणसे किया है एवं महावग्गमें उपरोक्त उल्लेख उसवक्त आया है जब म० बुद्ध अपना सब स्थापित करते ही जारहे थे और महावीर भगवान छमस्थ अवस्थामें थे । अतएव इस सब विवरणको देखते हुये यह स्वीकार नहीं किया जासक्ता कि भगवान पार्श्वनाथ और उनके शिष्य नग्नवेषमें न रहे हों और भगवान महावीरने मक्खलिगोशालसे नग्नवेष ग्रहण किया हो। __ १-आचारागसूत्र (S. B. E.) भाग १ पृ. ५६ । २-ऋग्वेद १०-१३६, वराहमिहिरसहिता १५-६१ व ४५-५८, महाभारत ३-२६-२७, रामायण वालकाण्ड भूपण टीका १४-२२। ३-दिव्यावदान पृ. १६५, जातकमाला भाग १ पृ० १४५, विशाखावत्यू धम्मपदत्यकथा भाग १ खण्ड २ पृ. ३८४, डीपीलॉग्न ऑफ वुद्ध ३-१४, महावग्ग ८१-५, ३-१, ३८-18; चुत्वग्ग ४,२८,३, संयुत्तनिकाय २, ३, 10, ७ धम्मपदम् पृ. ३ इत्यादि । ४-भगवान महावीर और म० बुद्ध परिशिष्ट पृ० २३७-२३८ ।
SR No.010172
Book TitleBhagavana Parshvanath
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages497
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy