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________________ भगवानका निर्वाणलाभ! [३७५ पूर्व ५४५ वर्षमें स्थापित किया है। अतएव भगवान् पार्श्वनाथ___ जीके मोक्षलाभ करनेकी घटना ईसासे पूर्व ७७० वर्ष में घटित हुई मानना ठीक जंचता है और इस दशामें भगवानका जन्म ईसासे पूर्व ८७० वर्षमें, गृहत्याग ईसवीसन्से ८४० वर्ष पहले और केवलज्ञान ईसासे पूर्व चार महीने कम ८४० वर्षमें हुआ सिद्ध होता है। इसप्रकार भगवान् पार्श्वनाथ कब हुये यह स्पष्ट होजाता है। किन्तु देखना यह है कि यह पर्वतराज श्री सम्मेदशिखिर कहां था कि जहासे भगवानने मोक्षलाभ किया था। आजकल हजारीबाग निलेका सम्मेदाचल ही यह पर्वत माना जाता है और हजारों श्रावक प्रतिवर्ष उसकी वदना करने जाते हैं। प्राचीनकालसे इसीको सम्मेद शिखिर मानकर लोग यात्रा करने आते थे, यह प्रकट है। 'उत्तर पश्चिमसे आनेवाले पटना और नवादासे खड़गदिह होकर पालगज आते थे। वहासे यह पर्वत निकट ही है। दूसरी ओर दक्षिण और पूर्वके यात्री उस सडकसे आते थे जो मानभूमके नैयुर स्थानसे चलकर नवागढ होती हुई पालगनको जाती है । ये सड़कें सन् १७७० ई० से पहले काममें आती थी। अतएव यही प्रतिभाषित होता है कि जिप्स पर्वतसे भगवान पार्श्वनाथजीने मोक्षलाभ किया था वह यही पर्वत है । पहलेके एक परिच्छेदमें रावणकी दिग्विजयका उल्लेख करते हुए भी यह देखा जाचुका है कि आधुनिक हिमालय और मध्यप्रान्तके बीचवाली पृथ्वीमे कही पर सम्मेदाचल था । माहिष्मती नगरसे चलकर रावणको कैलाश पहचने के १-भगवान महावीर और म० बुद्ध पृ० १११-११४ । २-बगाल विहार सैन स्मारक पृ० ४० ।
SR No.010172
Book TitleBhagavana Parshvanath
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages497
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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