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________________ १५८] भगवान पार्श्वनाथ । फीटसे ज्यादा ऊंचा नही है । आनकलके हिमालयकी ऐवरेस्ट नामक चोटी ही दुनिया में सबसे ऊची माझी जाती है और यह २९००२ फीट ऊंचाईमे है।' हिमालयके बारेमें यह भी कहा जाता है कि वह पूर्व-पश्चिम समुद्रसे समुद्र तक विस्तृत है.' परन्तु इस सादृश्यताके साथ उसका और वर्णन विनयासे नहीं मिलता तथापि उसका इतना विस्तार अर्वाचीन है, क्योंकि यह कहा गया है कि 'एक जमानेमें हिमालयका अधिकांश भाग जलमन था। नेपाल प्रदेश एक जलकुंड अश्वा हृद था, यह नेपालवासियोंका भी विश्वास है। अतएव यह स्पष्ट है कि उपलब्ध दुनिया में विनयार्धका पता लगाना कठिन है और इस हालतमें उपलब्ध प्रदेश आर्यखंड ही प्रस्ट होता है। हिन्दू पौराणिकोने इन्द्रकी राजधानी और उसके उद्यान आदि उत्तरीय ध्रुवमें स्थित बतलाये हैं। स्वर्गादिकी कल्पना भी उन्होंने वहीं की है। यह इन्द्र और स्वर्ग आदि देवलोकके होना अशक्य है; क्योंकि हिन्दू शास्त्रोंमें भी इनको अपर (ऊर्ध्व) लोकमें बतलाया है। अतएव यह इन्द्र और उसके स्वर्ग आदि जैनशास्त्रोंक इन्द्र, विद्यावर और उसके स्थापित किए हुए नकली स्वर्गादि ही प्रकट होते हैं। इस अवस्थामें विजयार्घ उत्तरध्रुवमे कहींपर अवस्थित होना चाहिये। उत्तरध्रुवकी अभी तक जो खोज हुई है उससे यह तो प्रकट होगया है कि वहांपर भी किसी जमानेमें बड़े सभ्य १-डी रापल वर्ल्ड ऐटलस पृ. ७ । २-एशियाटिक रिसर्चेज भाग ३ पृ. ६८ । ३-प्री-हिस्टॉरिक इन्डिया पृ० ४२-४५ । ४-हिस्ट्री ऑफ नेपाल पृ० ७७ । ५-एशियाटिक रिसर्चेज भाग : पृ० ५२ ।
SR No.010172
Book TitleBhagavana Parshvanath
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages497
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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