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________________ धरणेन्द्र-पद्मावती-कृतज्ञता-ज्ञापन। [१३१ इत्यादिकमैं लीन हैं । इनके परकी दाराहरणादिक वैरका कारण हो नहीं तात असुर हैं। ते सुरनिकारि युद्ध नाहीं करें हैं। बहुरि समस्त देवनिकै बालयौवनादिक अवस्था नहीं पलेटे हैं। उपज्या निस महसरत मरण पर्यंत एकसी थिर अवस्था रहै हैं तातै अवस्थाकार कुमार नहीं हैं। इनिकै कुमार समान उद्धत वेष भूषा आमरण आयुष वस्त्र गमन वाहन राग क्रीड़न हैं ताः कुमार कहिये है। अब इनका भवन कहां हैं सो कहै हैं । इस जम्बूद्वीपकी दक्षिण दिशामैं असं- . ख्यात द्वीपसमुद्रनिकू व्यतीत करि रत्नप्रभा पृथ्वीका पंकभाग विर्षे असुर कुमारनिका चमर नाम इन्द्र के चौंतीस लाख भवन हैं अर चौसाठि हजार सामानिक देव हैं। तेतीस त्रायस्त्रिंशत् देव हैं। बहुरि सोम, यम, वरुण, कुबेर ए चार लोकपाल हैं । तीन सभा हैं तिनमें पहली सभामैं अठाईस हजार देव हैं। मध्यकी समामें तीस हजार, बाह्य सभामै बत्तीस हजार देव हैं । अर सात सेना हैं। महिषनिकी घोड़ेनिकी रथनिकी हाथीनिकी पयादनिकी गंधर्वनिकी नृत्यकारिणीनिकी । तिन एक एक सेनामें सात सात कक्षा हैं। पहली कक्षा चौसठि हजार देवनिकी दूनी यात दूणी, तीनी यातै पूणी ऐसे सप्त जायगा दूणी दणीकी इक्यासी लाख अठाइस हजार प्रमाण महिपनिकी सेना भई इनिकू सप्तकर गुणिए तदि पांच कोटी अडसठी लाख छिन हजार देवसातौ सेनाके भए। ऐसे ही रोचनादिक इन्द्रकै सेनाका प्रमाण जानना । इनि सात प्रकारकी सेनामैं एक एक सेनाधिपति महत्तर देव हैं, नृत्यकारिणीकी सेनामैं महत्तरी देवी है। अर प्रकीर्णक देव नगर निवासी समान प्रीतिके पात्र गसंख्याल हैं । बहुरि छप्पन हजार देवी हैं तिनमैं सोलह हजार बल्लमिका
SR No.010172
Book TitleBhagavana Parshvanath
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages497
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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