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________________ (३६) एक ही दृष्टि को लेकर तने हुए हैं। कोई अपना आग्रह छोड़ना नहीं चाहता । कहिए, इन का निर्णय कैसे हो? कसें उन के अशान्त मन को शान्त किया जाए ? एकान्तवाद इस विवाद को शान्त नहीं कर सकता। क्योंकि वह तो स्वयं उस विवाद का मूल है। ऐसी दशा में वह निर्णायक कास्थान कैसे ले सकता है ? देखी एकान्तवाद की व्यवहार-बाधकता? अनेकान्तवाद की व्यवहार-साधकता : यहां अनेकान्तवाद का आश्रयण करना होगा। अनेकान्तवाद इस विवाद को बडी सुन्दरता से निपटा देता है। इस की व्यवहार-साधकता बडी विलक्षण है । अनेकान्तवाद लड़के से कहता है-- पुत्र ! तुम ठीक कहते हो, ये तुम्हारे पिता हैं, किन्तु इतना ध्यान रखना, ये केवल तुम्हारे पिता हैं, सब के नहीं। क्योंकि तुम इन के पुत्र हो। अनेकान्तवाद लड़की से कहता है-पुत्रि! तुम भी गल्त नहीं कहती हो, ये तुम्हारे चाचा हैं। क्योंकि ये तुम्हारे पिता के भाई है। वृद्धा से कहता है-माताजी! तुम्हारा कथन भी सत्य है। तुम उस पुरुष की जननी हो इस लिए वह तुम्हारा पुत्र है, किन्तु तुम उसे एकही दृष्टि से मत देखो। उस में जो पितृत्व.भ्रातृत्व,पतित्व आदि अन्य अनेकों धर्म रहते हैं, उन का भी आदर करो। एक ही व्यक्ति में अनेको धर्म निवास करते हैं परन्तु वे भिन्न-भिन्न दृष्टियो से है । केवल एक दृष्टि से नहीं । विवाद तब होता है जब एक ही दृष्टि का आदर होता है, और अन्य दृष्टियों को ठुकरा दिया जाता है। अत. तुम भी सत्य कहती हो और अन्य व्यक्ति भी सत्य कहते हैं । वस्तु में स्थित सभी धर्मों पर दृष्टिपात करने सं विवाद को कोई स्थान नहीं रहता। इसी प्रकार अनेकान्तवाद युवक तथा अन्य व्यक्तियों को भी समझा कर विरोधहीन कर डालता है।
SR No.010169
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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