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________________ (०६) क्या सम्बन्ध हो सकता है ? अहिंसा ऐसे नीच और पशुता-पूर्ण कृत्यो से सदा दूर रहती है। वहां किसी प्राणी को मार डालना तो दूर, कप्ट पहुंचाना, हानिकारक, घातक तथा कठोर भाषा का प्रयोग करना भी निपिद्ध है। अहिंमा को छाया तले किसी को कोई दुःख प्राप्त नहीं हो सकता। अहिंसा के साम्राज्य मे मनुष्य, पशु ससार के ममस्त जीव सानन्द रहते हैं, किसी को किसी से किसी भी प्रकार का कोई भय नहीं होने पाता है। शेर, बकरी एक घाट पानी पीते हैं। सर्प और नकुल परस्पर आख-मिचौनी करते है, वैरभाव भूल जाते हैं । अहिंसा की महिमा का क्या वर्णन किया जाए ? उस का पार नहीं पाया जा सकता। कहा जा सकता है कि शाकाहार में भी जीव-हत्या होती है, और मासाहार में भी, फिर हिंसा को लेकर मासाहार और शाकाहार दोनो बराबर ठहरते हैं। ऐसी दशा में एक प्रशस्त और दूसरा प्रशस्त क्यों? इसके उत्तर में निवेदन है कि मासाहार और शाकाहार दोनों को बराबर नहीं ठहराया जा सकता. क्योकि गेहूँ अादि शाक की बुनियाद बाबी और बकरे आदि पशु की बुनियाद पेशाबी है । शाक मे अव्यक्त चेतना वाला जीव है, और वकर में व्यक्त चेतना वाला प्राणी है। बकरे को मारने वाले के भाव प्रत्यनतः ऋर, निर्दय और कठोर होते है, जबकि गेहूँ पीमने वाले के ऐसे नहीं होते। अतः मांसाहार की शाकहार के साथ कोई तुलना नहीं की जा सकती। मांम जैसो अपवित्र, पृणिन और नाममी वस्तु, सात्त्विक शाकाहार के बराबर कैसे ठहराई जा सकती है? शाकाहार और मामाहार का अन्तर और इन का अपना-अपना नत्र प्रभाव दग्गने के लिए ही युरोप के ब्र मेल्स विश्वविद्यालय में '६ चार एक परीक्षण हया था। इस में दश हजार विद्यार्थी बैठ थे।
SR No.010169
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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