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________________ (२५) प्राप्त हो सकता ? कदापि नहीं। अत: जीवन और अहिंसा इन दोनों को मिल कर रहना चाहिए। इन दोनों का सामंजस्य ही मानव-जीवन की सफलता का अपूर्व महापथ है । यदि अहिंसा पूर्व दिशा की ओर जाने को कहती है, किन्तु जीवन पश्चिम दिशा की ओर बढ़ रहा है, दव बात नहीं बन सकती, ऐसी दशा मे दुःखों का नाश नहीं होगा। जो जीवन अहिंसा को साथ लेकर आगे बढ़ता है, एक पग भी अहिंसा को पीछे जाने नहीं देता, वही जीवन अपने लक्ष्य को पा सकता है और ऐसा ही जीवन ऐहलौकिक और पारलौकिक दुःखों का सर्वनाश कर के मुक्ति के अखण्ड सुख-साम्राज्य को उपलब्ध करने में सफल हो सकता है। अहिंसा और मांसाहार मांसाहार की उत्पत्ति हिंसा से होती है । हिंसा के बिना मांसा. हार का निष्पादन नहीं हो सकता। मांसाहार में पशु-पक्षियों की हिंसा स्पष्ट रूप से पाई जाती है, अतः मांसाहार के साथ अहिंसा का कोई सम्बन्ध नहीं है । मासाहार मनुष्य के कोमल हृदय की कोमल भावनाओं को नष्ट कर देता है, उसे पूर्णतया निर्दय और कठोर बना हालता है। आप ही सोच लें कि मांस किसी खेत में पैदा नहीं होता. वृक्षों पर नहीं लगता, जमीन से नहीं निकलता, आकाश से भी नहीं बरसता। वह तो चलते फिरते जीवित प्राणियों को मार कर उनके शरीर से प्राप्त किया जाता है। इस के अलावा, वविक जव चमचमाता हुआ छुरा लेकर पशु पक्षियों के जीवनी पर प्रहार करता है, करता क साथ उन के जीवना का अन्त कर देता है। वह दृश्य कितना भयकर और लोमहर्षक होता है ? सहृदय व्यक्ति तो उसे देख भी नहीं सकता। ऐसे हिंसापूर्ण, क्रूरतम मांसाहार के साथ अहिंसा का
SR No.010169
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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