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________________ (१४२) लगेगी । अपराध तथा उस के फलस्वरूप दण्ड का वोध न होने से जनता कभी भी उस व्यवस्था से शिक्षित भी नही हो सकती। इस का कुफल यह होगा कि न कोई अपराध करने से डरेगा और न उस व्यक्ति का सुधार होगा। नाथूराम गोडसे ने सैकडो व्यक्तियो के सामने राष्ट्रपिता महात्मा गाधी के सीने मे तीन गोलिया मारी थी। इसलिए उसे हत्यारा प्रमाणित करने के लिए किसी गवाह की आवश्यकता नही थी और विधानानुसार भारत सरकार गोडसे को फासी दे सकती थी, परन्तु भारत सरकार ने ऐसा नहीं किया। बल्कि व्यवस्थित रूप से अदालत मे गोडसे को हत्यारा प्रमाणित करने के अनन्तर ही फासी दी गई। राज्यव्यवस्था को जीवित रखने का यही सर्वोत्तम ढग होता है। अपराध के प्रमाणित न होने पर अपराधी को दण्डित करना किसी भी तरह उचित और न्याय-सगत नही कहा जा सकता। ईश्वर ससार का शासक है। उसे भी उक्त पद्धति के अनुसार ही दण्डव्यवस्था का प्रयोग करना उचित है, किन्तु ऐसा होता नही है । जब कोई व्यक्ति मनुप्य योनि में जन्म लेता है और जन्म से ही वह अन्धा और पगु शरीर वाला बनता है। उस व्यक्ति को उस के परिवार को तथा अन्य देशवासियो को यह ज्ञात नही होने पाता कि यह अधत्व और पगुत्व किस कर्म के प्रकोप का परिणाम है ? किसी को भी मालूम नहीं होने पाता कि यह सदोप गरीर किस कर्म के कारण इस व्यक्ति को मिला हे ' सब के गर्वथा अनात रहने के कारण उक्त दुष्ट शरीर की प्राति के मूलभूत दुष्कर्मों के उत्पादक अशुभ कार्यों का फिगी की जान नहीं होने पाना। इनमें दण्ड देने का
SR No.010169
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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