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________________ (१४१) नही आता कि जब ससार का शासक ईश्वर है और वह ऐसा शासक है जो सर्वथा दयालु है, न्यायशील है. सर्वशक्तिमान है, सर्वज्ञ है और सर्वदर्शी है, तथापि ससार मे बुराई कम नही होने पाती। मासाहारियो, व्यभिचारियो और चोर आदि हिंसक लोगो का आधिक्य ही दृष्टिगोचर हो रहा है । सर्वत्र छल, कपट और ईर्षा-द्वेष की आग जल रही है। ऐसी दशा मे कैसे कहा व माना जाए कि ईश्वर ससार का शासक है ? ६-जब कोई मनुष्य चोरी करता है तो उस पर राज्य की ओर से व्यवस्थित ढग से अभियोग चलाया जाता है। यह प्रमाणित होने पर कि उस व्यक्ति ने चोरी की है, या अमुक अपराध किया है तो न्यायाधीश (जज) उस को जेल या जुरमाना आदि का उपयुक्त दण्ड देता है। तव अपराधी व्यक्ति तथा अन्य लोग यह जान जाते हैं कि चोरी आदि दुष्कर्मों का फल जेल आदि के रूप मे दण्ड मिलता है। इस दण्ड का ज्ञान होने पर वह व्यक्ति और साधारण जनता यह भी जान जाती है कि चोरी आदि दुष्ट कर्म नहीं करने चाहिए। यदि किए जाएगे तो जेल आदि के रूप मे दण्ड भुगतना पडेगा। फलस्वरूप भविष्य में किसी व्यक्ति का चोरी आदि लोकविरुद्ध तथा राज्यविरुद्ध कार्य करने में जरा भी साहस नही होने पाता। जनता का सुधार हो, इसी उद्देश्य से अपराधी को दण्ड दिया जाता है। परन्तु यदि किसी देश का शासक किसी अपराधी को पकड़ या पकडवा कर जेल में डाल दे और उस पर कोई अभियोग न चलाए और न यही प्रकट करे कि इस व्यक्ति ने क्या अपराध किया है ? तो ऐसी दशा मे जनता उस व्यक्ति को निर्दोष और शासक को अन्यायी समझने
SR No.010169
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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